नई दिल्ली। टाटा सन्स ने जेट एयेरवेज में हिस्सा खरीदने को लेकर मीडिया में चल रही खबरों पर नया बयान जारी किया है। टाटा ने शुक्रवार को बैठक खत्म होने के बाद कहा कि इस तरह की चर्चा शुरुआती चरण में है और फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है।
बीएस के मुताबिक टाटा ग्रुप जेट एयरवेज में उसके फाउंडर नरेश गोयल को बोर्ड सीट नहीं देना चाहता है। नरेश गोयल जेट में छोटा हिस्सा रखकर बोर्ड में बने रहना चाहते हैं। इस खबर के बाद जेट एयरवेज के शेयर में बड़ी तेजी आ गई। जेट एयरवेज का शेयर करीब 9.5 फीसदी चढ़कर 351 रुपए पर पहुंच गया।
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हालांकि मिंट के मुताबिक सरकार ने जेट एयरवेज को संकट से निकालने के लिए टाटा ग्रुप को मदद करने के लिए कहा है। इस मामले में टाटा ग्रुप सरकार से जेट एयरवेज पर सरकारी बैंकों के कर्ज में कमी और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कुछ कर्ज में कमी चाहती है। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।
उधर इस खबर पर टाटा सन्स, जेट एयरवेज और एयर एशिया ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बता दें कि टाटा सन्स सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ विस्तारा नाम से एयरलाइन्स भी चलाता है। दूसरी तरफ टाटा एयर एशिया इंडिया में भी मलेशिया एयरलाइन्स एयर एशिया के साथ भागीदार है। खबरों के मुताबिक, टाटा संस जेट से डील के कारण एयर एशिया से अपना करार खत्म करना चाहता है।
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बता दें कि टाटा सन्स की हिस्सेदारी एयर एशिया में 51 फीसदी की है। जबकि इसमें एयर एशिया की हिस्सेदारी 49 फीसदी है। इससे पहले जेट के सीएफओ अमित अग्रवाल ने इसी सप्ताह कहा था कि उनकी कंपनी निवेश के इच्छुक कई पक्षों से बातचीत कर रही है। एयरलाइन अपने छह बोइंग 777 विमान तथा लॉयल्टी कार्यक्रम ‘जेट प्रिविलेज’ में हिस्सेदारी बेचने जा रही है।
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दरअसल इस बार सितंबर में समाप्त तिमाही में जेट एयरवेज को 1,261 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। एक साल पहले समान तिमाही में कंपनी को 71 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। यह लगातार तीसरी तिमाही है जबकि जेट एयरवेज को घाटा हुआ है। इसलिए इस तरह की बातों को हवा मिल रही है। बता दें कि जेट के पास अभी कुल 124 एयरक्राफ्ट की प्लीट है। भारत में जेट एयरवेज की शुरुआत 1990 में हुई थी।
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