महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी महात्मा गांधी की तरह ही काफी लोकप्रिय थीं। कहा जाता है कि महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता बनने और बापू कहलाने के पीछे महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी का बड़ा हाथ था। यदि यह महिला नहीं होती तो शायद गांधी जी आज महात्मा के नाम से नहीं जाने जाते।
शादी के बाद अपने पति के साथ कस्तूरबा गाँधी हमेशा साथ रहीं। एक संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद शादी के बाद अपने पति के साथ बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत किया। उन्होंने कभी भी महात्मा गांधी से किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की।
महात्मा गांधी के साथ ही कस्तूरबा गाँधी भी देश की सेवा में तन-मन से जुट गईं। वह गांधी जी के साथ हमेशा आश्रमों में रही। उन्होंने सादा जीवन जिया और एक साधारण सूती धोती पहनकर अपना जीवन व्यतीत किया। कस्तूरबा गाँधी के संघर्षों का ही परिणाम था कि गांधी जी इतने लोकप्रिय हो पाए। उन्होंने कभी भी गांधी जी से एक पति और एक पिता की जिम्मेदारियों के प्रति आगाह नहीं किया।
गुजरात के काठियावाड़ में हुआ जन्म
कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात के काठियावाड़ में हुआ। कस्तूरबा के पिता एक व्यापारी थे और उनकी दोस्ती महात्मा गांधी के पिता से थी। वह एक संपन्न परिवार की बेटी थी, लेकिन फिर भी महज 7 साल की उम्र में उनकी सगाई महात्मा गांधी के साथ कर दी गई। इसके कुछ वर्षों बाद ही कस्तूरबा गाँधी और महात्मा गाँधी की शादी हो गई।
कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी की जब शादी हुई थी, उस वक्त कस्तूरबा गाँधी की उम्र 13 साल थी। कई पुस्तकों में ऐसा दावा किया गया है कि गांधी जी का शुरुआत में कस्तूरबा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं था। लेकिन कस्तूरबा गांधी के लगन और प्रेम ने गांधी जी को धीरे-धीरे बदल दिया।
शादी के बाद कस्तूरबा गांधी की स्कूली शिक्षा बंद हो गई और वह स्कूल कभी फिर दोबारा नहीं जा सकी। दूसरी तरफ महात्मा गांधी की शिक्षा जारी रही और वह अपनी पढ़ाई के लिए विदेश भी गए। हालांकि कस्तूरबा गांधी घर पर पढ़ाई करती थीं और महात्मा उन्हें पढ़ाते थे।
एक प्रामाणिक लेख में दावा किया गया है कि मोहनदास करमचंद गांधी जब इंग्लैंड में वकालत की पढ़ाई कर रहे थे, तब उनके लिए पैसे कस्तूरबा गाँधीने अपने गहने बेचकर जुटाए थे। कस्तूरबा गांधी ने जीवन भर हर परिस्थितियों में गांधी जी का साथ दिया। गांधी जी जब स्वतंत्रता संग्राम के लिए जेल गए तो कस्तूरबा गाँधी भी उनके साथ थीं।
आजादी की लड़ाई के दौरान जब गांधी जी धरना-प्रदर्शन करते थे और उपवास रखते थे तो उनकी देखभाल कस्तूरबा गांधी बड़ी ही लगन से करती थीं। बता दें कि कस्तूरबा गांधी एक गंभीर बीमारी ब्रोंकाइटिस से ग्रसित थीं और धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा।
सबको पता है कि महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। लेकिन इसके तरफ महात्मा गांधी का ध्यान आकर्षित उन्होंने ही ने कराया था। जब उन्होंने आवाज उठाई तो 3 महीने के लिए कस्तूरबा गांधी को जेल की सजा हो गई। जेल में उन्होंने लोगों को प्रार्थना का महत्व सिखाया और कैदियों के दुख में हमेशा साथ रहीं। उनके इस सेवा भाव को देखकर लोग उन्हें ‘बा’ के नाम से पुकारने लगे।
महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी अपनी बीमारी की वजह से ज्यादा दिन तक गांधी जी के साथ नहीं रह सकीं और 22 फरवरी 1944 को कस्तूरबा गाँधी का निधन हो गया। एक सम्पन्न परिवार की बेटी होने के बावजूद पति के साथ हर परिस्थितियों में साथ रहकर उन्होंने यह साबित किया कि एक स्त्री का अपने पति के प्रति क्या योगदान होना चाहिए? कस्तूरबा गांधी के इस योगदान और संघर्ष को देश हमेशा याद रखेगा।
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