चैत्र मास में चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। साल में दो बार नवरात्रि पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्र में भक्त 9 दिनों तक निर्जल उपवास रखते हैं और माता की पूजा करते हैं। कई लोग अपने घर में नवरात्रि पूजा करते हैं। आइए जानते हैं कि घर में नवरात्रि पूजा कैसे करें? नवरात्रि का पूजन विधि और मंत्र के द्वारा पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।
घर में नवरात्रि पूजा कैसे करें?
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन पूरे नौ दिनों तक तामसिक भोजन से भक्त दूर रहते हैं। नौ दिनों में माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक माता की पूजा करते हैं। इन शुभ दिनों में कई शुभ कार्य किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र में नौ तिथियाँ होती है जो अत्यंत ही शुभ होती है। इसमें बिना मुहूर्त देखे शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
नवरात्रि में लोग अपने घरों में भी पूजा करते हैं। लेकिन घर में नवरात्रि पूजा करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं कि घर में पूजा करने की क्या विधि है और हमें क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
कलश स्थापना के लिए सामग्री
कलश, आम का पत्ता ( 5 पत्ते की डली), रोली, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत
ज्वार बोने के लिए सामग्री
मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, गेहूं या जौ, मिट्टी पर रखने के लिए साफ कपड़ा, साफ जल और कलावा।
अखंड ज्योति के लिए सामग्री
पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, रोली या सिंदूर, अक्षत। इसे भी पढ़ें- शुक्रवार को दुर्गा पूजा इस तरह करें, जीवन के सभी कष्ट होंगे दूर
नौ दिन के लिए हवन सामग्री
नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक भक्त हवन करते हैं। इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काला तिल, रोलीया कुमकुम, अक्षत (चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आमचन के लिए)।
माता रानी के श्रृंगार के लिए सामग्री
नवरात्रि में माता रानी को श्रृंगार भी अर्पित करना चाहिए। ये श्रृंगार सामग्री माता रानी के लिए लयनी आवश्यक है। लाल चुनरी, चूड़ी, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, बिछिया, माला, पायल, लाली व अन्य श्रृंगार के सामान।
कलश स्थापना और पूजा विधि
- नवरात्र में प्रतिपदा तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वस्थ वस्त्र धारण करना चाहिए।
- नवरात्र के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर मुख्य द्वार पर आम और अशोक के पत्ते का तोरण लगाना चाहिए।
- इसके बाद चौकी बिछाकर सबसे पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए।
- इसके बाद रोली और अक्षत का टीका लगाना चाहिए और फिर माता की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए।
- प्रतिमा स्थापित करने के बाद विधि विधान से घर में मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
- घर में कलश को हमेशा पूजा के समय उत्तर दिशा या उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में रखना चाहिए।
- कलश या नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ ना हो।
- कलश के मुंह पर चारों ओर अशोक के पत्ते लगानी चाहिए और एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलवा से इसे बांध लेना चाहिए।
- इसके बाद मां अंबे का आह्वान करना चाहिए। फिर दीपक जलाकर माता की पूजा करना चाहिए।
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नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप
- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। - सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। - नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें.
- पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।
प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।
पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत । प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।
इस बात का ध्यान रखें कि नवरात्रि के 9 दिन तक इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। मंत्रों का जाप करते वक्त इसे कम से कम 11 बार इसको जरूर दोहराएं। मंत्र जाप करते समय मंत्रों को पढ़ने में या स्मरण करने में गलती ना करें। यदि भूलवश आपके मंत्रोच्चारण में कोई गलती होती है तो माता से इसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
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