मकर संक्रांति की पूजा विधि और मंत्र का उच्चारण करना मकर संक्रांति के दिन बहुत ही लाभदायक होता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी पूजा या व्रत नियम पूर्वक करने से उसका फल अवश्य ही प्राप्त होता है। इस आर्टिकल में आज जानेंगे कि मकर संक्रांति की पूजा विधि का तरीका क्या है और इस दौरान हमें किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?
मकर संक्रांति की पूजा विधि
मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष में मनाया जाता है। यह त्यौहार सूर्योदय की तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 में सूर्योदय की तिथि 15 जनवरी को है इसलिए मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
- मकर संक्रांति की पूजा सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर करना चाहिए।
- ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- उसके बाद गैंग गणेश जी का का ध्यान करें।
- फिर तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, गुड़, लाल रोली, अक्षत और काला तिल लेकर उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए।
- अर्ध्य देते समय सूर्य मंत्र और गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
- अर्ध्य देते समय जल की धारा में देखकर सूर्य देव का दर्शन करना बेहद ही शुभ माना जाता है।
- इसके बाद सूर्य देव को धूप बत्ती या घी का दीपक दिखाना चाहिए।
- धूपबत्ती दिखाने के बाद तीन बार सूर्य देव की परिक्रमा करनी चाहिए।
- इसके बाद भोग अर्पित करना चाहिए और गलतियों के लिए क्षमा मांगना चाहिए।
मकर संक्रांति की पूजा विधि में मंत्रों का जब भी विशेष महत्व रखता है। सूर्य देव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है।
सूर्य मंत्र
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ आदित्याय नमः
डिस्क्लेमर – इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इस विषय में ज्यादा जानकारी के लिए अपने नजदीकी पुरोहित से ही संपर्क करें।
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