सबरीमाला। महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया है। रविवार रात को परिसर में नियम उल्लंघन के मामले में 72 भक्तों को गिरफ्तार किया गया। रविवार देर रात तनाव उस समय बढ़ गया जब सबरीमाला और उसके आसपास लागू निषेधाज्ञा के बावजूद 200 से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने परिसर खाली नहीं किया और भगवान अयप्पा के भजनों का गायन शुरू कर दिया।
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मंदिर के हालात का जायजा लेने केंद्रीय मंत्री केजे अल्फॉन्स सोमवार सुबह मंदिर परिसर में पहुंचे। उन्होंने कहा- इमरजेंसी से बदतर हालात हो गए हैं। भक्तों को अागे नहीं बढ़ने दिया जा रहा। बेवजह धारा 144 लगा दी गई है। भक्त आतंकी नहीं हैं। प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने के बाद हालात और बिगड़ गए।
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इस मामले में आरएसएस ने सोमवार को राज्यभर में विरोध जताने का ऐलान किया है। सबरीमाला कर्म समिति, सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने की तैयारी में है। समिति का आरोप है सुप्रीम कोर्ट ने सभी आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देकर उनके रीति-रिवाज और परंपराओं को नष्ट किया है।
मुख्यमंत्री निवास पर धरना देने जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं और आरएसएस के स्वयंसेवकों को रास्ते में ही रोक दिया गया। कई थानों और आयुक्त कार्यालयों के सामने विरोध जताया गया। राज्य के तिरुवनंतपुरम, आलप्पुषा, एनार्कुलम, पत्तनमत्तिट्टा और कोझीकोड जिलों में प्रदर्शनकारियों में आधी रात को प्रार्थना सभाएं कीं।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को इजाजत दी थी। यह प्रथा 800 साल पुरानी है। सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्वक्षेत्र में है। बताया जाता है कि 12वीं सदी में इस मंदिर भगवान अय्यप्पा की पूजा होती थी। मान्यता है कि भगवान अय्यप्पा भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रुप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। इस मंदिर में हर साल 5 करोड़ भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
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