डेस्क। सूर्य की सतह को लेकर मनुष्यों में बड़ी कौतूहल रही है। सूर्य की वास्तविक सतह का पता लगाना मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। सूर्य की सतह को देखने के लिए मनुष्य हमेशा से ही प्रयासरत रहा है। धरती पर कई महामानवों ने सूर्य की गतिविधियों को लेकर पहले भी कई बातें कह चुके हैं। अब सूर्य की सतह कैसी दिखती है? इसको दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन डेनियल के.इनोये ने साकार किया है।
सूर्य की सतह की तस्वीर टेलिस्कोप डेनियल के.इनोये से ली गई है। सूर्य की सतह बिलकुल सोने की परत जैसी दिख रही है। यह सोने की तरह चमकती हुई, मधुमक्खी के छत्ते जैसा दिखाई दे रहा है। यह सतह बार-बार फैलती और सिकुरती दिख रही है। बता दें कि सूर्य की ऐसी तस्वीर आज से पहले कभी नहीं देखी गई हैं।
सूर्य की सतह की यह तस्वीर दुनिया के लिए नए संभावनों का द्वार खोलेगा। मानव लगातार सूर्य तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है। हालांकि सूर्य की बेहिसाब गर्मी ऐसा करने से बार-बार रोकती रही हैं। हालांकि सूर्य की धरती की नई तस्वीरों ने वैज्ञानिकों को और ज्यादा सोचने पर मजबूर कर दिया है। वैज्ञानिक इस तस्वीर को देखकर अचंभित रह गए। यह वास्तव में मानव इतिहास के लिए बड़ी घटना है।
सूर्य की सतह की यह तस्वीर पहली बार बुधवार को जारी की कई। जारी की गई तस्वीर के अनुसार, यह धरती पर रहने वाले मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिख रहा है। मधुमक्खी एक प्रकार का जीव जो मधु पैदा करता है। यह जीव धरती पर बड़े-बड़े पेड़ों पर अपना घर (छत्ता) बनाता है। मधुमक्खियों को आजकल पाला भी जाता है और इससे मधु तैयार किया जाता है।
बताया जा रहा है कि सूर्य की यह सोने जैसी धरती, जब सिकुरते और फैलते हैं तो इससे आपार ऊष्मा निकलती है। सूर्य की यह सेल (कोशिकाएँ) एक टेक्सास प्रांत के बराबर है। वैज्ञानिक अब नए निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सूर्य की कोरोना (सूर्य की बाहरी वायुमंडल) का विस्तार बहुत दूर तक है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह निश्चित रूप से धरती पर जीवन को प्रभावित करता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह मानव क्षमता का सबसे ऊंची छलांग है। ये तस्वीरें कोरोना के अंदर चुंबकीय क्षेत्रों को मापने में मदद करेगी। डेनियल टेलीस्कोप के निदेशक थॉमस रिम्मेले ने कहा कि अबतक की सबसे उन्नत तस्वीर बताती है कि सूर्य की सतह उजाड़ और बेहद ही खतनाक है।
बता दें कि सूर्य की सतह की तस्वीर लेने वाला यह टेलीस्कोप हवाई द्वीप पर स्थित है। बताया जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में यह टेलीस्कोप और भी प्रभावशाली हो जाएगा। इस टेलीस्कोप में और भी कई उपकरण जोड़े जाएंगें। यह दूरबीन सूर्य के चुंबकीय क्षेत्रों के अध्ययन में अत्यंत ही मददगार साबित हो सकता है।
डेनियल टेलीस्कोप के तस्वीरों और वीडियो के अध्ययन से यह पता चला है कि सूर्य की सतह पर हर 14 सेकेंड में उथल-पुथल होती है। डेनियल दूरबीन ने एक 10 मिनट का वीडियो भी रिकॉर्ड किया है। दूरबीन ने जिस क्षेत्र का वीडियो बनाया है वह बहुत ही दूर तक स्थित है। जिस क्षेत्रफल को डेनियल दूरबीन ने कवर किया है वो करीब 20 करोड़ वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल है। यह क्षेत्रफल किसी भी बड़े शहर या फिर एक छोटे देश के बराबर है।
बता दें सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे चमकीला तारा है। अभी तक के जानकारी के अनुसार सूर्य अपने केंद्र पर खड़ा रहता है। सौरमंडल के सभी ग्रह, उपग्रह और छोटे-छोटे पिंड सूर्य की प्ररिक्रमा करते हैं। सूर्य की गर्मी से ही धरती पर जीवन है। पृथ्वी का विकास कई अरबों-खरबों वर्ष पूर्व हुआ था। 270 करोड़ साल पहले पृथ्वी से टकराने वाले उल्कापिंडों के अध्ययन से पता चला है कि प्रारंभिक पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइट की मात्रा बहुत ही अधिक थी।
हमारे सौरमंडल में कई ऐसे ग्रह हैं जहां पर जीवन की संभावना की तलाश की जा रही है। मानव मंगल ग्रह पर भी जीवन की तालाश में लगातार अध्ययन कर रहा है। चांद पर भी मनुष्य लगातार खोजें कर रहा है। मानव द्वारा किये जा खोज से ऐसा लगता है कि निश्चित ही वह दिन भी आएगा जब मनुष्य को जिस चीज की तलाश है वो मिल जाएगा।
अतंरिक्ष की दुनिया में स्थित अनेकानेक तारों और ग्रहों की गणना के लिए मनुष्ट लगातार प्रयासरत है। हालांकि अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली है। लेकिन कुछ संकेत यह बताते हैं कि इस ब्रह्मांड में धरती के अलावा भी जीवन हो सकते हैं। धरती एक मात्र अकेली जगह नहीं है जहां पर जीवन है। धरती के अलावा भी कई ग्रह हो सकते हैं। फिलहाल वैज्ञानिक पृथ्वी से निकट कोई ग्रह ढूंढ रहे हैं।
पृथ्वी के अलावा हमारे सौरमंडल में मिलता जुलता ग्रह शुक्र है। शुक्र को पृथ्वी की बहन की कहा जाता है। यह ग्रह बिलकुल पृथ्वी के आकार का और पृथ्वी से मिलता जुलता है। सूर्य की सतह की इस नए अध्ययन ने निश्चित ही तौर पर मानव के खोज और व्यापक बनाया है। आने वाले समय में डेनियल दूरबीन की सहायता से सूर्य की और भी तस्वीरें और वीडिया ली जाएंगी।
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