दिग्गज अभिनेता विपिन शर्मा ने सिफ़ी 2023/24 के मंच पर लगाई चौपाल

भारतीय सिनेमा के जाने-माने अभिनेता विपिन, शर्मा ने फिल्म महोत्सव सिफ़ी के दूसरे दिन, 8 फरवरी 2024 को फिल्म प्रेमियों के बीच दिल्ली मेट्रोपॉलिटन एजुकेशन (डीएमई) कॉलेज, सेक्टर 62, नौएडा में चौपाल लगाई‌। इस विशेष चौपाल पर उन्होंने सिफ़ी 2023/24 का विषय ‘सिनेमा फॉर इंक्लूजन’ पर कला प्रेमियों से विचारों का आदान-प्रदान किया। सिफ़ी (CIFFI, सिनेस्ट इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल) का यह पांचवां संस्करण है जिसका आयोजन 7 फरवरी से लेकर 9 फरवरी 2024 किया जा रहा है।

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अभिनेता विपिन शर्मा, तारे ज़मीन पर, सत्याग्रह, गैंग ऑफ वासेपुर, और किक जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। उन्होंने अपने अनुभवों और कला की बारीकियों से जुड़े अहम गुणों के बारे में भावी फिल्ममेकर, अभिनेता साथ ही मौजूद फिल्म प्रेमियों, छात्रों से चर्चा की। साथ ही उन्होने कहा कि जब आपको अंदर से लगता है कि मुझे ये करना है तब चीजें अपने आप ही हल होने लगती हैं। कला की दुनिया में आपके अंदर का आत्मविश्वास बहुत जरूरी है।

सिफ़ी के दूसरे दिन स्पेशल स्क्रीनिंग के रुप में डायरेक्टर विजोटोयो और मेघनाथ की फिल्म ‘नांची से बांची’, डायरेक्टर देवाशीष मखीजा की फिल्म साइकल, डायरेक्टर जॉन श्रीधर की फिल्म चंद्रुडु, डायरेक्टर सोमनाथ वाघमरे की चैत्यभूमि को दिखाया गया। इसी के साथ स्टूडेंट स्पेशल फिल्म और डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी से चयनित फिल्मों की भी स्क्रीनिंग की गई।

सिफ़ी के दूसरे दिन ना सिर्फ फिल्म बल्कि इससे जुड़े आयामों पर भी मुख्य अतिथियों ने अपने अनुभवों को साझा किया। इसमें प्रमुख रुप से राउंड टेबल सेशन जिसका विषय ‘रेजिलिएंट रियल्म: जर्नी थ्रो दलित एंड ट्राइबल लाइव्स’ था। इस सेशन में विक्रांत किशोर फेस्टिवल डायरेक्टर सिफ़ी, रतन लाल, प्रोफेसर हिंदू कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय, सोमनाथ वाघमा, फिल्मकार, प्रशांत नेगी, असिस्टेंट प्रोफेसर जामिया मिलिया इस्लामिया, शामिल रहे।

सभी ने अपने-अपने अनुभवों के साथ विषय से जुड़ी वर्तमान समय की स्थितियों को लेकर सिफ़ी में आए लोगों के अनुभवों और विचारों पर चर्चा की। इस विषय पर विक्रांत किशोर ने लोगों से आव्हान किया कि हमें जाति जैसे मुद्दों पर बन रही फिल्मों को लेकर गंभीर होने की जरुरत है, ऐसे विषयों को नजरअंदाज करने की भूल नहीं करनी चाहिए।

सिफ़ी 2023/24 में इस बार मल्टी डायमेंशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव 2024 का भी सफलता पूर्ण आयोजन हुआ। इस कॉन्क्लेव का विषय ‘डिजिटल कंटेंट कंजप्शन बाय जेन जेड: अपॉर्चुनिटी एंड चैलेंजेस’ था। इस कॉन्क्लेव में केंद्रित अतिथियों के रुप में अमित भाटिया, एडिटर एंटरटेनमेंट लाइव एबीपी नेटवर्क, अर्चना श्रीवास्तव, प्रिंसिपल ईस्ट पॉइंट स्कूल दिल्ली, ऋचा बडोला, हेडमिस्ट्रेस कैंब्रिज स्कूल, नोएडा, सोनू कुंद्रा, प्रिंसिपल मॉडर्न स्कूल, वैशाली, उपस्थित रहे।
एडिटर अमित भाटिया और प्रिंसिपल सोनू कुंद्रा ने डिजिटल दुनिया में बच्चों की स्थिति को देखते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि एक बच्चा सोशल मीडिया पर जिस तरह के कंटेंट देख रहा है, क्या वह उसके लिए तैयार भी है या नहीं।

हेडमिस्ट्रेस, ऋचा बडोला ने अभिभावको और शैक्षिक संस्थानों को मोबाइल की लत से बच्चों को बचाने के लिए उनका सही तरह से मार्गदर्शन करना की आवश्यकता पर अपने अनुभवों को साझा किया। प्रिंसिपल अर्चना श्रीवास्तव ने असल दुनिया और डीजिटल मीडिया की बनाई हुए दुनिया के बीच फर्क को समझाते हुए कहा कि आपकी फोटो पर लाइक्स बरसाने वाले जरुरी नहीं हैं कि आपको असल दुनिया में भी उतना ही पसंद करते हों।

डीएमई मीडिया स्कूल डीन, सिफ़ी डायरेक्टर, प्रोफेसर डॉ. अंबरीष सक्सेना ने सिफ़ी फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन के आयोजन पर कहा कि भावी फिल्ममेकर्स के बीच, जाने-माने दिग्गजों की छत्रछाया में इसका आयोजन का होना पहले से ही इसकी सफलता को दर्शा रहा है। सिफ़ी का मंच दोनों ही पीढ़ियों के लिए एक समावेश की भूमिका को वर्तमान समय में बखूबी निभा रहा है। डॉ. अंबरीष सक्सेना ने डिजिटल युग में मोबाइल ने हमारे जीवन को जिस तरह से जकड़ लिया है इससे छुटकारा पाना असंभव सा हो गया है, पर अपना विचार साझा किया।

सुष्मिता बाला, डीएमई कॉलेज हेड ऑफ मीडिया स्कूल डिपार्टमेंट, फेस्टिवल चीफ एसोसिएट डायरेक्टर ने सिफ़ी के #filmingdiversity के आधार के बारे में लोगों को जागरुक किया। उन्होने फिल्ममेकर्स से आग्रह करते हुए कहा कि सिनेमा जगत में विषयों की विविधता को बरकरार रखना सच्ची कला को सम्मान देने के लिए बहुत जरुरी है।

सिफ़ी के दूसरे दिन आए सभी फिल्मप्रेमियों, खासकर की डीएमई के छात्रों ने बॉलीवुड की थीम पर सज-धज कर आए। जिससे चारों तरफ फिल्मी सितारों की झलक देखने को मिली। छात्रों ने अभिनेता विपिन शर्मा और अन्य फिल्ममेकर्स से कई सवाल कर फिल्मी जगत से जुड़े अपने संदेहो का हल पाया।

सिफ़ी के पहले दिन मराठी फिल्म बाबा की विषेश स्क्रीन को फिल्म प्रेमियों में शामिल फिल्ममेकर, शिक्षक और छात्रों ने काफी सराहा। इस फिल्म को देखने के बाद कई लोगों की आंखों में आंसू को साफ देखा जा सकता था। यह फिल्म दिव्यांगजनों को ध्यान में रख कर बनाई गई फिल्मों में से एक है।

सिफ़ी का पहला संस्करण 17-20 अप्रैल, 2019 को दिल्ली मेट्रोपॉलिटन एजुकेशन के परिसर में डीकिन विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित किया गया था। जिसमे विशेष रुप से ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्माताओं ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में शामिल हुए थे। सिफ़ी का दूसरा संस्करण 15-21 दिसंबर, 2020 को कोविड-19 की महामारी के बीच हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था। सिफ़ी का तीसरा संस्करण 2021 में आयोजित किया गया। सिफ़ी का चौथा संस्करण, एक मिश्रित प्रारूप में 2022 में किया गया।

इस मौके पर बाबा फिल्म के एसोसिएट डायरेक्टर शाद्वल ने मौजूद फिल्म प्रेमियों के तमाम सवालों का जवाब देते हुए बताया कि इस तरह की फिल्मों को बनाने के लिए किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस तरह की भावुक फिल्म जिसे दिव्यांगजन को ध्यान में रखकर बनाया गया हो और आपके मुख्य किरदार के पास कोई डायलॉग नहीं हो, ऐसे में स्टार कास्ट को मनाना और फिर आपको जो चाहिए उसे कैमरे में रिकॉर्ड करना, यह एक बड़ी चुनौती है।

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