Pitru Paksha: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 29 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इसका समापन 14 अक्टूबर को अमावस्या तिथि को होगा। जीवन में शांति बनाए रखने के लिए पितरों का तर्पण इस दौरान करना जरूरी माना जाता है। आइए जानते हैं कि पितृपक्ष में कैसे दूर करें पितरों की नाराजगी?
पितृपक्ष की अवधि में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। कुछ खास उपाय करके जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।
पितरों का करें तर्पण
पितृ पक्ष के दौराण तर्पण और श्राद्ध करना जरूरी माना गया है। तर्पण की क्रिया में जल का प्रयोग महत्वपूर्ण होता है। हथेली में जल लेकर पितरों को अर्पित करना उत्तम माना गया है।
पितृ पक्ष में सूर्योदय से पहले उठें और स्नान के बाद पीपल के पेड़ में जल देना चाहिए। इससे आपके पितृ प्रसन्न होकर आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस दौरान जल की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। नहीं तो पितृ देव आपकी पूजा को स्वीकार नहीं करेंगे।
अग्नि से मिलती है पितरों को शांति
हिंदू धर्म में माना गया है कि अग्नि में दी हुई आहुति सीधे देवताओं तक पहुंचती है। श्राद्ध के दौरान अग्नि में पांच तत्वों की आहुति देनी चाहिए। इससे पितरों को शांति मिलती है।
उड़द की दाल का दान
ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल का संबंध राहु ग्रह और शनि ग्रह से माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान उड़द दाल दान करने से पितरों को शांति मिलती है। ऐसा करना फलदाई माना गया है।
काले तिल का उपाय
पितृपक्ष में तर्पण, पिंडदान में काले तिल का प्रयोग किया जाता है। काले तिल का संबंध शनिदेव से माना जाता है। यदि आप पितृपक्ष के दौरान काले तिल का दान करते हैं तो अनजाने में की गई गलतियों से छुटकारा मिलता है। सूर्यदेव को जल में काले तिल मिलाकर अर्ध्य देने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
कुश का उपाय
धार्मिक मान्यता है कि कुश भगवान विष्णु के ही अंश है। पितृपक्ष में कुश का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में यदि आप कुश के जल से शिव जी का अभिषेक करते हैं, तो इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। कुश को हाथ में लेकर पितरों को जल अर्पित करने से श्राद्ध पूरी होती है। इस दौरान जल में कुश डालकर स्नान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।



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