नई दिल्ली। पिछले आठ सप्ताह से जारी गतिरोध अब समाप्त होता नजर आ रहा है। चीनी सेना पूर्वी लद्दाख के झड़प वाले इलाके से पीछे हट गई है। इसके साथ-साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों से भी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने वापसी शुरू कर दी है।
बता दें कि चीनी सेना द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब के इलाकों में जबरन घुसने के बाद भारत की तरफ से इसका विरोध किया गया था। चीनी सेना की इस हरकत के बाद सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था। सीमा पर बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच कई स्तरीय बातचीत भी हुई थी।
बुधवार शाम तक गोगरा में भी चीनी सेना की वापसी की उम्मीद है। चीन के इस फैसले के बाद भारतीय सेना भी इलाके से पीछे हट गई है। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक, यह सब शीर्ष भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों के बातचीत के बाद संभव हुआ। उन्होंने कहा कि दोनों सेनाओं ने पहले ही गलवां घाटी में 4 किमी के बफर जोन का निर्माण कर लिया है।
बता दें कि इसी इलाके में 15 जून को 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बफर जोन का निर्माण क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को आंशिक रूप से प्रतिबंधित करेगा। हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता जताई है कि आंशिक क्यूरेटिंग को भारतीय उपस्थिति और नियंत्रण को कम करने वाली दीर्घकालिक सुविधा नहीं बनने देना चाहिए।
बता दें कि भारत और चीन के बीच हजारों किलोमीटर का लंबा बॉर्डर है। इससे पहले चीन डोकलाम में भी भारतीय सेना के साथ विवादों में घिर चुका है। चीन का मंशा हमेशा विस्तारवाद का रहा है। चीन अपने पड़ोसियों के जमीन पर हमेशा अपनी आंखे गड़ाए रहता है। चीन का लगभग अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद है।



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