Karpur Gauram Bhajan: कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्

Karpur Gauram

Karpur Gauram lyrics in hindi: यह भजन भगवान शिव को समर्पित है। इसमें भगवान शिव की अराधना की गई है और उनकी महिमा के बारे में बताया गया है।

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Karpur Gauram Karunavtaram lyrics in hindi

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।

इस मंत्र से भगवान शिव की अराधना की जाती है। शिव मंदिर में प्रतिदिन पूजा के बाद इस मंत्र का जाप अवश्य किया जाता है। इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति के जीवन से भय का नाश होता है और हर परिस्थिति में व्यक्ति के हृदय में परिस्थितियों से लड़ने का भाव जगता है।

Karpur Gauram Karunavtaram मंत्र का अर्थ

भगवान शिव, जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण के हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे हृदय में सदैव निवास करें। उन्हें मेरा नमन है। भगवान शिव की यह स्तुति भगवान विष्णु द्वारा शिव-पार्वती के विवाह के समय गाई गई थी, ऐसा माना जाता है। लेकिन इस मंत्र में बहुत ही गहरा अर्थ छिपा है।

जैसा कि ज्यादातर जगहों पर शिव के बारे में कहा गया है कि वह शमशान में रहते हैं और उनका स्वरूप बहुत ही भयंकर है। वह अघोरी की तरह दिखते हैं। लेकिन इस भजन में जिक्र किया गया है कि उनका स्वरूप बहुत ही भव्य और दिव्य है। शिव इस सृष्टि के अधिपति हैं। उन्हें मृत्युलोक का देवता माना गया है।

भगवान शिव के पशुपतिनाथ भी कहा जाता है। इसके अलावा उनके कई नाम है, जैसे – शिव, शंकर, नीलकंठ, भोलेनाथ, जटाधारी इत्यादि। पशुपतिनाथ का अर्थ है कि भगवान शिव संसार के सभी जीव (मनुष्य सहित) के नाथ (अधिपति)। यह स्तृति कहता है कि जो शिव इस संसार के अधिपति हैं, वह हमारे मन में निवास करे।

Karpur Gauram का हिंदी अनुवाद

जिसका शरीर कपूर की तरह गोरा है, जो करुणा के अवतार है, जो इस संसार के मूल हैं, जो महादेव सर्पराज को गले में हार के रूप में धारण करते हैं, ऐसे हमेशा प्रसन्न रहने वाले भगवान शिव को अपने ह्रदय कमल में शिव-पार्वती को एक साथ नमस्कार करता हूँ।

इस मंत्र में भगवान शिव की स्तृति की जाती है। इस अर्थ है – वह शिव जो कपूर्रगौरं- कपूर्ण के समान गौर वर्ण वाले। करुणावतारं – करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं। संसारसारं – जो इस समस्त सृष्टि के सार हैं। भुजगेंद्रहारम् – जो सांपों को गले में हार के रुप में धारण करते हैं।

सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावानि सहितं नमामि – ऐसे शिव जो हमेशा माँ भवानी पार्वती के साथ हमारे हृदय में निवास करते हैं, उन्हें भवानि सहित मेरा नमन है।

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