नई दिल्ली। चीन अपनी महत्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रॉजेक्ट को लेकर पूरी दुनिया में इसका प्रचार कर रहा है। यह तीन महादेशों- एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सीधे तौर पर जोड़ेगा। वर्तमान में यह प्रोजेक्ट किसी एक देश का सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है। लेकिन चीन इस प्रोजेक्ट के तहत करना क्या चाहता है। इसको लेकर बहस छिड़ गई है। आखिर क्यों चीन इसे लेकर कुछ ज्यादा ही संजीदा है और जल्द से जल्द इसे पूरा करना चाहता है।
Read Also: महबूबा ने दी चेतावनी, धारा 370 हटा तो कश्मीर में तिरंगा लहराने वाला कोई नहीं होगा
चीन ने अपने वन बेल्ट वन रोड (OBOR) परियोजना को वैश्विक आदर्श के रूप में पेश किया है जो कि कम विकसित देशों के लिए आर्थिक लाभ देगा। इसी परियोजना का एक हिस्सा चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसीबीएसई -4.45%) भी है। यह दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप के माध्यम से जमीन और समुद्र के लिंक के निर्माण के माध्यम से एक नैटवर्क होगा। लेकिन इस प्रोजैक्ट के शुरू होने से पहले ही चीन के शातिर खेल की पोल खुलनी शुरू हो गई है।
Read Also: इंडिया टुडे मैगजीन ने कवर पेज पर चीन को दिखाया मुर्गी और पाकिस्तान को चूजा
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि CPEC चीन की औपनिवेशिक चाल है, ताकि पाकिस्तान में वह स्थायी पैठ बना सके। इस प्रोजेक्ट का सबसे अच्छा और ताजा उदाहरण श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह है। इसमें चीन ने श्रीलंका के साथ एक सौदा किया है जिसके तहत इस पोर्ट की 70-80 फीसदी हिस्सेदारी चीन को दी गई है। श्रीलंका ने हंबान्टाटा के गहरे समुद्र के बंदरगाह के नियंत्रण और विकास के लिए चीन के साथ 1.1 अरब डॉलर का समझौता किया है।
Read Also: बुरे फंसे नवाज, देना पड़ा इस्तीफा, पूरा परिवार लपेटे में
इसके मुताबिक एक चीनी सरकारी कंपनी इस पोर्ट को 99 साल के लिए लीज पर लेगा। साथ ही श्रीलंका में 15,000 एकड़ की जमीन भी ली गई है। जिसपर चीन का दावा है कि वो वहां एक औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण करेगा। दरअसल चीन ने श्रीलंका को पिछले कुछ सालों में श्रीलंका में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बड़े कर्ज दिए हैं। अब ये स्थिति है कि श्रीलंका उसे चुकाने की स्थिति में नहीं है।
Read Also: अब अभिनेत्री मधुबाला की मुस्कान भी खिलेगी मैडम तुसाड म्यूजियम में
चीन ने विकास के लिए श्रीलंका को जो कर्ज दिया है, उसका वो 6.3 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूलता है। जबकि एशियन डेवलपमेंट बैंक औ विश्व बैंक इसी कर्ज के लिए मात्र 0.25 प्रतिशत से 3 प्रतिशत तक ब्याज लेती है। भारत भी अपने पड़ोसी देशों को 1 प्रतिशत से कम ब्याजदर पर लोन देता है। दरअसल हंबनटोटा पोर्ट को लीज पर देने का देने का मकसद ये है कि इससे मिलने वाला पैसा चीन के ऋण के पुनर्भुगतान में जाएगा। इसी तरह से चीन महंगा कर्ज देकर विकासशील देश में पहले घुसता है।
मोबाइल पर भी अपनी पसंदीदा खबरें पाने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें और ट्विटर, गूगल प्लस पर फॉलो करें
Whatsapp Group | Join |
Telegram channel | Join |

देश और दुनिया की ताजा खबरों के लिए बने रहें हमारे साथ। लेटेस्ट न्यूज के लिए हन्ट आई न्यूज के होमपेज पर जाएं। आप हमें फेसबुक, पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब कर सकते हैं।