तेरी परछाई और मेरी खामोशियाँ!
परछाइयों में भी जैसे कोई चेहरा रहता है
ख़ामोशियों में भी कुछ शोर रहता है
अब तो न तू है न वो वक्त है
फिर भी, गुज़रे वक़्त का इंतजार रहता है
कोशिशें हज़ार बार कीं ख़ुद को समझाने की
दिल फिर न तुझसे लगाने की
बीते लम्हों की यादें मिटाने की
फिर भी न जाने क्यों आज भी तेरा ही इंतजार रहता है
तू ऐसे शामिल है मुझमें ऐसे
तेरे साथ बिताए हर लम्हों में जैसे
हर दिन होता था तीज-त्यौहार
अब तो फीका सा लगता है सावन की भी ये बौछार
अब न मैं तुझमें शामिल हूं
तो न अब कोई सपना है
और न ही पहले सा तू अपना है
फिर भी क्यों है ये इंतजार
अब भी दिल की इस दिवाली में
जज़्बातों की रोज़ ही जलती होली
न जानें अब भी कैसी ये ख्वाहिश है
तुझसे मिलने की और तुझमें सिमट जाने की
शिवपूजा के लिए बेलपत्र को सोमवार को कभी भी नहीं तोड़ना चाहिए। यह अशुभ होता…
शनिवार का दिन किन कार्यों के लिए अशुभ होता है। शनिवार के दिन बैगन, लाल…
Widow Pension Yojana के तहत सरकार द्वारा जो धनराशि दी जाती है वह सीधे डीबीटी…
This website uses cookies.
Read More