संतोष सुमन। देश में कोरोना संकट के बीच वायरस का मामला लगातार तेजी से बढ़ रहा है। देश के तमाम बड़े शहरों में जनजीवन ठप्प है। लोग जीवन जीने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं। कोई भूख से परेशान है तो कोई पानी पीकर जिंदा है। लेकिन इस संकट की घड़ी में इन शहरों के मकान मालिकों ने लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है।
एक तरफ सरकार लोगों के लिए पैकेज का ऐलान कर रही है तो दूसरी तरफ इन मालिकों ने किराए पर रहने वाले लोगों की जिंदगी तबाह कर रखा है। लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं है लेकिन मकान मलिकों को किराया चाहिए। इस दुख की घड़ी में मकान मलिकों को लोगों की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। इस तरह के मकान मालिकों पर सरकार सख्त कार्रवाई करे।
हिंदुस्तान में एक खबर छपी है जिसमें दिल्ली के मकान मालिकों के बेरहम व्यव्हार का जिक्र किया गया है। लोग दिल्ली के मकान मालिकों से इस कदर परेशान हैं कि वो अब कहने लगे हैं कि भूख से मरने से अच्छा है कि वह कोरोना वायरस से मर जाए। सरकार को ऐसे मकान मालिकों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए या फिर लोगों के मकानों का किराया सरकार को भरना चाहिए।
हिंदुस्तान में छपी खबर के मुताबिक, न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए राजवती ने कहा, ‘मकान मालिक किराए के लिए परेशान करता है। बिजली बिल भी देना पड़ता है। हमारे पास खाने का एक दाना तक नहीं है, हम कहां से खाएं। पानी आ रहा था, जिसे पीकर हम जिंदा हैं। अब वो भी बंद हो गया।’ राजवती ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि हमें या तो हमारे गांव भिजवा दें या फिर साधन दें। उसने कहा कि हम भूखे मरें, इससे अच्छा है कि इस बीमारी (कोरोना) से मर जाएं।
बिहार की रहने वाली समीमा का कहना है कि हमरे बच्चे बीते दो दिनों से पानी पीकर रह रहे हैं। मकान मालिक किराया मांग रहा है। मैं सरकार से ममद की गुजारिश करती हूं। इसी बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि दिल्ली सरकार दिहाड़ी मजदूरों को पांच हजार रुपए देगी। सरकार से अनुरोध है कि मकान मलिकों के इस व्यवहार के लिए उन्हें दंडित किया जाए।
-यह लेखक का निजी विचार है
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