Bhandara in Navratri: नवरात्रि में कई लोग भंडारा का आयोजन करते हैं। नवरात्र में भंडारा खाना चाहिए या नहीं? इसको लेकर लोगों में भ्रम होता है। नवरात्र में भंडारा कराने के दो मुख्य कारण होते हैं, पहला धर्मार्थ और दूसरा समाजिक। धर्मार्थ के अंतर्गत किसी मंदिर में या नवरात्रि में या गणेश उत्सव में भंडारे का आयोजन किया जाता है।
दूसरा भंडारा सामाजिक होता है। इसमें गरीबों को भोजन कराया जाता है। इसमें प्राकृतिक रूप से या किसी घटना की वजह बेघर लोगों को भोजन कराया जाता है। आज हमलोग जानेंगे कि नवरात्र में भंडारा खाना चाहिए या नहीं?
धर्मार्थ भंडारा
धर्मार्थ भंडारा को प्रसाद कहा जाता है। मंदिर में देव प्रसाद दिया जाता है और गुरुद्वारा में गुरु प्रसाद दिया जाता है। लोगों द्वारा प्रसाद के रूप में इसका सेवन किया जाता है। मंदिर में यात्री, संन्यासी, धर्मयोद्धा और उस व्यक्ति के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है जो प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकता है।
समाजिक भंडारा
कई बार प्राकृतिक रूप से आपदाओं की वजह से, जातीय हिंसा, आंदोलन आदिन के चलते बेघर लोगों के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है। यह भोजन पीड़ित व्यक्ति के बीच बांटा जाता है।
भंडारा में भोजन करना चाहिए या नहीं
ज्यादातर भंडारा गरीबों और असमर्थ लोगों के लिए आयोजित किया जाता है। ऐसे में किसी समर्थ व्यक्ति को भंडारा नहीं खाना चाहिए। यह नैतिक रूप से ठीक नहीं होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि गरीबों के लिए किए गए भंडारा का सेवन यदि कोई समर्थ व्यक्ति करता है तो उसे श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त नहीं होती है।
यदि कोई समर्थ व्यक्ति भंडारा करता है तो उसे दान भी करना चाहिए। धर्मार्थ भंडारे को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि सक्षम व्यक्ति जब भंडारा खाता है तो देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
भंडारा का कारण जान ही करें भोजन
कई लोगों द्वारा माता की पूजा के बाद ब्राह्मण भोज का आयोजन किया जाता है। इस दौरान भंडारे का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी तरह के लोग भोजन करते हैं। इसमें गरीब और अमीर सभी लोग साथ मिलकर भोजन करते हैं। इसलिए भंडारे का कारण जानकर ही भोजन करना चाहिए।



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