Mothers Day: यूँ तो मां के बलिदान तपस्या और धैर्य का इस जग में कोई मोल नहीं…लेकिन फिर भी बच्चे आज के दिन यानि मदर्स-डे को मां के लिए खास दिन मानते हैं और इसी कारण बच्चे अलग-अलग तरीके से इसे सेलिब्रेट करते हैं।
तो क्या आपको पता है कि इस दिन के पीछे की कहानी क्या है? अगर इतिहास में देखा जाए तो वर्ष 1912 में इस दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई। कहा जाता है कि एना जार्विस नाम की अमेरिकी कार्यकर्ता अपनी मां से बेहद प्यार करती थी। मां से दूर होने के चलते उन्होंने कभी शादी नहीं की।
मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की और बाद में इस दिन को मां को सम्मान के दिन के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा। भारत समेत कई देशों में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे को मनाया जाता है।
Mothers Day: मदर्स-डे का हमारे जीवन में महत्व
एक महिला के रूप में हर महिला के जीवन में एक ऐसा दिन आता है जब नौ महीने तक अपने गर्भ में पल रहे बच्चे का गर्भ धारण करती है और अपने पूरे समय को एक मां बच्चों के सपनों को पूरा करने में लगा देती है। मां वही है, जो अपने बच्चे के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देती है। इसलिए मां की ममता के आगे दुनिया की हर चीज छोटी है। कई बार देखा गया है कि एक मां निर्बल हो या असमर्थ हो तब भी संतान के लिए लड़ने और उसे बचाने में पीछे नहीं हटती है। इसलिए हमें चाहिए कि हम दुनिया की हर मां का हमेशा सम्मान करें।
Mothers Day: धार्मिक कथाओं में मां का रूप
धार्मिक कथाओं के अनुसार, वेदों और शास्त्रों में सोलह प्रकार की माताओं का उल्लेख मिलता है। दूध पिलाने वाली मां, गर्भ धारण करने वाली मां, भोजन देने वाली मां, शिक्षा देने वाली मां, पत्नी के रूप मां, सौतेली मां, बहन के रूप में मां, मौसी, दादी, बुआ और मामी ये सब मां का ही रूप है। संकटकाल में भी अनेक साहसी मां का रूप देखने को मिलता है जो अपने काम के साथ-साथ मां के फर्ज को भी बखूबी निभाती हैं। इसलिए उनके प्रति मन श्रद्धा से भर जाता है।