Malmas 2023 Date: मलमास कब से शुरू होगा और कब खत्म होगा? जानें तिथि और महत्व

मलमास 2023: मलमास में क्या करना चाहिए?

Malmas 2023 Date: भारतीय ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक तीन साल में अधिकमास यानी मलमास आते हैं। इस साल (2023 में) 18 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक मलमास का मौसम रहेगा। इन दिनों कुछ कार्यों को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं इस दौरान कुछ कार्यों को करने से परहेज करना चाहिए। आइए जानते हैं मलमास के बारे में विस्तार से।

Join whatsapp group Join Now
Join Telegram group Join Now

क्यों पड़ते हैं अधिकमास या मलमास?

Follow us on Google News

जिस महीने में सूर्य की संक्रांति न हो, वह महीना अधिकमास और जिसमें दो संक्रांति होती है, वह क्षयमास कहलाता है। ज्योतिष की गणना के अनुसार, एक सौर वर्ष का मान 365 दिन 6 घंटे और 99 सेकंड होता है। चंद्र वर्ष 354 दिन और 8 घंटे का होता है। दोनों वर्ष के मानों में प्रतिवर्ष 10 दिन 28 घंटे और 9 मिनट का अंतर पड़ जाता है। इसी अंतर में सामंजस्य स्थापित करने के लिए 32 महीने 16 दिन और 4 घंटे बीत जाने पर अधिकमास पड़ता है। 

Follow WhatsApp Channel Follow Now

यह भी पढ़ें -   अंक ज्योतिष का मतलब क्या होता है? जानें कैसे देखा जाता है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक अधिकमास से दूसरे अधिकमास की अवधि 28 मास से लेकर 36 मास के भीतर होना संभव है। इस प्रकार प्रत्येक तीसरे वर्ष में मलमास यानि अधिकमास आना निश्चित होता है। 

मलमास (अधिकमास) का महत्व

मलमास की दृष्टि से जितनी इस मास की निंदा की जाती है, पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से इसकी उतनी ही महिमा भी है। ऐसी मान्यता है कि लोकापवाद एवं तिरस्कार से दुखी होकर पुरुषोत्तम ने घोर तपस्या करके भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था।  इसके बाद भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर कहा कि जैसे मैं सद्गुणों कीर्ति प्रभाव ऐश्वर्य प्रक्रम भक्तों को वरदान देने के गुणों के कारण त्रिलोक में विख्यात हूं उसी प्रकार तुम भी बोतल पर मेरे पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हो गए।

ऐसी मान्यता है कि अधिक मास आने पर जो व्यक्ति श्रद्धा एवं भक्ति पूर्ण रूप से भगवान विष्णु का पूजन और गीता पाठ करता है वह मृत्यु के उपरांत गोलोक पहुंचकर श्री विष्णु का सानिध्य प्राप्त करता है। 

Follow WhatsApp Channel Follow Now

यह भी पढ़ें -   देवशयनी एकादशी से चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होंगे

 मलमास में मंत्र जाप दान का महत्व

मलमास के महीने में मंत्र जाप और दान का खास महत्व माना जाता है । इस मास के प्रारंभ होते ही प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि के बाद नित्यक्रम से निवृत्त होकर पुरुषोत्तम मास के नियम एक आहार सत्याचरण ब्रह्मचर्य भूमि शयन इत्यादि ग्रहण करना चाहिए ।

33 तुलसीदल से शालिग्राम भगवान का नित्य पूजन करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है । विधि पूर्वक षोडशोपचार से नित्य भगवान श्री कृष्ण का पूजन करने से उत्तम लोग की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल के ऋषि कौण्डिन्य के अनुसार,

गोवर्धनघर देवं वंदेगोपाल गोपरूपिणम्।

गोकुलोत्सव मीशानं गोविंद गोपिका प्रियम्।।

इसे भी पढ़ें…

यह भी पढ़ें -   Sudarshan Chakra in Dream - सपने में सुदर्शन चक्र देखने का क्या मतलब होता है?

इस मंत्र का एक मास तक 108 बार नित्य जप करने से पुरुषोत्तम भगवान की प्राप्ति होती है। हेमाद्रि के अनुसार, अधिकमास शुरू होने के बाद भगवान सूर्य का ऊं हृां हृीं हृौं स: सूर्याय नम: मंत्र से लाल पुष्प के साथ पूजन के साथ गेहूं-गुड़ और देसी घी फलों का दान करने से ज्ञात-अज्ञात अवस्था में किए अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

मलमास 2023 के अंतिम दिन विविध प्रकार के दान और देसी घी से बने हुए 33 पुए को कांसे के बर्तन में लेकर वस्त्र दक्षिणा करके और गुरु ब्राह्मणों को दान करना चाहिए और भगवान विष्णु के तैंतीस नाम मंत्रों का जप करना चाहिए।

Join whatsapp group Join Now
Join Telegram group Join Now

Follow us on Google News

देश और दुनिया की ताजा खबरों के लिए बने रहें हमारे साथ। लेटेस्ट न्यूज के लिए हन्ट आई न्यूज के होमपेज पर जाएं। आप हमें फेसबुक, पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब कर सकते हैं।


Follow WhatsApp Channel Follow Now