देशभर में कोरोनावायरस का संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है।अब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह बीमारी धीरे-धीरे पांव पसारने लगी है। हालांकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार लगातार लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए जागरुकता अभियान चला रही है। लेकिन सरकार द्वारा समाचार पत्रों और टीवी मीडिया में चलाई जा रही जागरूकता ऐसे लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है जिनके यहां ना टीवी है और ना ही अखबार पहुंचता है।
ऐसे में पत्रकारिता के छात्र सत्येंद्र सिंह राजपुरोहित ने पेम्पलेट छपवाकर कार्य करने वाली महिलाओं को मारवाड़ी में कोरोना के बारे में जानकारी देते हुए मनरेगा में कार्य कर रही महिलाओं तक जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया है।
सत्येंद्र सिंह राजपुरोहित अनलॉक डाउन शुरू होने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में बाहर निकले तो देखा कि अधिकांश लोग चेहरे पर मास्क लगाए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आ रहे हैं लेकिन मनरेगा में काम करने वाली महिलाएं पेड़ की छांव के नीचे एक साथ झुंड बनाकर बैठी रहती हैं और मास्क नहीं लगाए रहती हैं।
यह दृश्य देखकर राजपुरोहित के मन में विचार आया कि इन लोगों में कहीं कोरोनावायरस संक्रमण न फैल जाए जिसके बाद उन्होंने 5000 पेंपलेट छपवा लिए और पहुंच गए मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों के पास।
प्रशासन से मनरेगा श्रमिकों के लिए टेंट लगाने की मांग की
राजपुरोहित ने जब देखा कि जहां मनरेगा के श्रमिक काम करते हैं वहां सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ जाने का सबसे पहला कारण यह है कि जब दोपहर में वे काम खत्म करते हैं और खाना खाने बैठते हैं तो किसी पेड़ की छांव के नीचे बैठते हैं। ऐसे में काम करने वाले क्षेत्र में पेड़ों की संख्या कम होने के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा सकता। जिस पर राजपुरोहित में उपखंड अधिकारी ओसियाँ, विकास अधिकारी तिंवरी को चिट्ठी लिखकर यह मांग की है कि मनरेगा श्रमिकों के लिए कार्य स्थल पर टेंट लगाया जाए ताकि वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर पाएं।
राजपुरोहित वर्तमान में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से पत्रकारिता विषय में एम ए कर रहे हैं। गांव वालों ने सत्येंद्र सिंह राजपुरोहित के इन प्रयासों की नरेगा श्रमिकों ने प्रशंसा करते हुए उनके द्वारा दिए गए सुझाव को स्वीकार किया। इसके साथ ही मनरेगा में कार्यरत श्रमिकों ने भी उनके द्वारा बताए गए सावधानियों को अपनाने का वायदा किया।