बबिता सिंह।
जीवन है अनमोल,
ना करो मनमानी
कहती नानी, कहती दादी
कहता ये संसार
बचा लो पानी !
कहता नन्हा- मुन्ना पौधा,
कहता गॉऺव- खलिहान
पानी अगर समाप्त हुआ
तो मिटेगा सारा जहान
बचा लो पानी!
फूलों की बगिया मुरझाए,
होंगे खेत वीरान
धरती की हरियाली सारी
बन जाएगी रेगिस्तान
बचा लो पानी!
हरी-भरी धरती झूमे,
पेड़ लगाकर जगत बचाओ
जल है बहुमूल्य भैया
ना इसे व्यर्थ बहाओ
बचा लो पानी!
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