Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि का त्योहार साधना और भक्ति का पर्व है। इस साल 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। कई लोग इस दौरान पूजा करते हैं तो कई लोग साधना करते हैं। नवरात्रि में साधना विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। लेकिन शास्त्रों में भक्ति का मार्ग सर्वोत्तम माना गया है।
भक्ति मार्ग में नाम जप करना और मंत्र जप करना उत्तम होता है। यदि आप भी नवरात्रि में साधना करने की सोच रहे हैं तो आपको यह साधना बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। आइए जानते हैं कि नवरात्रि में कौन सी साधना उत्तम रहता है।
वर्ष में चार नवरात्रि होती है
वर्ष में चार नवरात्रि होती है। चैत्र नवरात्रि और अश्विन या शारदीय नवरात्रि गृहस्थों की साधना के लिए होता है। वहीं आषाढ़ और पौष माह की नवरात्रि साधुओं द्वारा की जाती है। यह साधना गुप्त होती है। इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि की साधना कहा जाता है।
दो तरह की होती हैं साधनाएं
नवरात्रि में कई प्रकार की साधनाएं की जाती है। लेकिन प्रमुख तौर पर दो साधना लोकप्रिय है। पहली साधना – दक्षिणमार्गी साधना और दूसरी साधना – वाममार्गी साधना। दक्षिणमार्गी साधना में पूजा, भक्ति गायत्री और योग सम्मत साधनाएं होती है। शैव, नाथ और शक्त संप्रदाय में वाममार्गी अर्थात तांत्रिक साधना ज्यादा लोकप्रिय है।
दोनों में से किसी भी साधना को करने के लिए सही ज्ञान और गुरु का होना बहुत ही जरूरी होता है। उपरोक्त साधना को देवी साधना और इससे अलग प्रकार की साधना को आसुरी साधना कहा जाता है। संसार में परा और अपरा नाम को दो साधनाएं होती है।


दक्षिणमार्गी साधना
इस साधना को विशेष तौर पर चैत्र और शारदीय नवरात्रि में किया जाता है। इसमें व्रत रखा जाता है। देवी मां की पूजा होती है। पूजा के अलावा हवन, नाम और मंत्र का जाप किया जाता है। इस प्रकार की साधना में देवी मां का पाठ भी किया जाता है।
यदि आप भी नवरात्रि में साधना करने की सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले साध्य देवी का चयन करना होगा। देवियों में अम्बिका, सती, पार्वती, उमा, माता दुर्गा या दुर्गा के नौ रूपों में से किसी एक रूप की साधना कर सकते हैं।
वाममार्गी साधना
वाममार्गी साधना को गुप्त नवरात्रि में किया जाता है। इसे गुप्त साधना भी कहते हैं। यह साधना तांत्रिकों और साधुओं द्वारा किया जाता है। वाममार्गी साधना भी कई प्रकार की होती है। इसी में से एक है तंत्र साधना। तंत्र साधना में देवी काली तथा उनके अलग-अलग रूपों की साधना, अष्ट भैरवी, नौ दुर्गा, दस महाविद्या, 64 योगिनी आदि देवियों की साधना होती है।
तंत्र साधना में देवताओं की साधना भी होती है। इसमें बटुक भैरव, काल भैरव, नाग महाराज की साधना होती है। इसके अलावा लोगों द्वारा यक्षिणी, पिशाचिनी, अप्सरा, वीर साधना, गंधर्व साधना, किन्नर साधना, नायक नायिका साधना, डाकिनी-शाकिनी, विद्याधर, सिद्ध, दैत्य, दानव, राक्षस, गुह्मक, भूत, वेताल, अघोर भी किया जाता है। लेकिन आम लोगों के लिए यह साधना निषेध है। इस प्रकार की साधना करने वाले लोग अपने आसपास खतरा और नर्क का जाल बुनते हैं।
नवदुर्गा साधना
यह साधना सात्विक होती है। माता दुर्गा की यह साधना नवरात्रि में किया जाता है। माँ दुर्गा के नौ रूपों की साधना इसमें होती है। 1. शैलपुत्री, 2. ब्रह्मचारिणी, 3. चंद्रघंटा, 4. कुष्मांडा, 5. स्कंदमाता, 6. कात्यायनी, 7. कालरात्रि, 8. महागौरी, 9. सिद्धिदात्री। नवदुर्गा साधना में इन्हीं नौ देवियों की साधना सामान्य तरीके से किया जाता है। इसमें व्रत, पूजा, यज्ञ और हवन आदि किया जाता है।


साधारण साधना
नवदुर्गा में गृहस्थ मनुष्य या सामान्य मनुष्य को साधारण साधना ही करना चाहिए। इस दौरान साधक को घट स्थापना के बाद माता की ज्योत जलाकर चंडीपाठ, देवी महात्मय परायण या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। इन नौ दिनों के दौरान माता का मंत्र जाप करना चाहिए और व्यक्ति को उपवास और संयम में रहना चाहिए।
भक्त इस दौरान सप्तमी, अष्टमी और नौवमी के दिन कन्या पूजन करके उन्हें अच्छे से भोजन ग्रहण कराना चाहिए। अंतिम दिन विधिवत रूप से साधना और पूजा को समाप्त करके हवन करना चाहिए।
साधना में सावधानी
यदि कोई व्यक्ति 9 दिनों तक साधना का संकल्प लेता है तो उसे बीच में तोड़ा नहीं जा सकता है। मन और विचार से पवित्रता बनाकर रखना चाहिए। छल, कपट, प्रपंच और अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इस दौरान गलत लोगों की संगति नहीं करना चाहिए। साधना में किसी भी प्रकार की गलती नहीं होनी चाहिए। इससे माता क्रोधित होती हैं। यदि आप इस दौरान बीमार पड़ जाते हैं या आपको अचानक कहीं यात्रा में जाना पड़े। घर पर किसी भी प्रकार का संकट आ जाता है तो इस दौरान उपवास तोड़ना या साधना छोड़ना क्षम्य माना जाता है। लेकिन यह किसी जानकार गुरु से पूछकर ही करना चाहिए।



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