शनिवार को सुंदरकांड पाठ करने से शनिदेव की कुदृष्टि आपसे कोसों दूर रहेगी। सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में शांति और लाभ प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति का काम नहीं बन रहा है और वह लगातार परेशान रह रहा है तो सुंदरकांड का पाठ करने से ऐसे मामलों में लाभ प्राप्त होता है। यदि आप सुंदरकांड का पाठ रोज कर सकते हैं तो बहुत अच्छी बात है, नहीं तो कम से कम मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड पाठ अवश्य करना चाहिए।
सुंदरकांड पाठ करने के लाभ
यह किसी भी व्यक्ति के लिए एक आस्था का विषय है। सुंदरकांड का पाठ करने से होने वाले लाभ अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग तरीके से मिल सकता है। शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने से कई तरह की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जिस घर में सुंदरकांड का पाठ किया जाता है, उस घर से परेशानियां को कोसों दूर रहती है।
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मिलती है मानसिक शांति
सुंदरकांड का पाठ करने से मन को शांति प्राप्त होती है। शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने से शनि देव की दृष्टि से बचने में सहायता होती है। इस दिन सुंदरकांड का पाठ करके इसका प्रभाव तथा बाल रूप से देखा जा सकता है। इसे भी पढ़ें- शनिवार का दिन किन कार्यों के लिए होता है अशुभ, जानिए
दूर होती है गरीबी और दरिद्रता
जिस घर में गरीबी और दरिद्रता रहती है। घर के सदस्य लगातार बीमार रहते हैं। घर में कुछ भी अच्छा नहीं होता है। ऐसे में उस घर में यदि शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ किया जाता है तो धीरे-धीरे की घर की परेशानियां दूर होने लगती है। शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने से इसका चमत्कार देखा जा सकता है।
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उस घर की आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है। घर की नकारात्मक शक्तियां घर से कोसों दूर चली जाती है। बीमार व्यक्ति धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। घर की आर्थिक स्थिति भी धीरे-धीरे बेहतर होने लगती है। आर्थिक समस्याओं और कर्ज से है परेशान, तो अपनाएं ये ज्योतिष उपाय
पैसे का अभाव होता है दूर
यदि आपके घर में पैसों की दिक्कत रहती है। आप पैसा बहुत कमाते हैं लेकिन वह टिकता नहीं है। दवाई में, मुकदमों में खर्च हो जाता है तो इसका मतलब है कि उस घर में कोई निगेटिव एनर्जी है, जिसका नकारात्मक प्रभाव काफी ज्यादा है। सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से यह निगेटिव एनर्जी घर से दूर भागने लगती है।
सुंदरकांड का पाठ शनिवार को करते रहने से घर की नकारात्मकता दूर हो जाती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का आभास होने लगता है। घर में एक पॉजिटिव एनर्जी आने लगती है। सुंदरकांड का पाठ करने से घर की बीमारियां धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और पैसों का आगमन होने लगता है। नमक का दान कब करना चाहिए? जानिए नमक से लक्ष्मी कैसे आती है?
सुंदरकांड का पाठ करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। घर के सदस्यों में यदि आपस में बनती नहीं है तो सुंदरकांड का पाठ करने से यह स्थिति धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। शनिवार को सुंदरकांड पाठ करने से उसके चमत्कार स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। घर में यदि सदस्यों के बीच ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होने लगा है तो इसका मतलब है कि उस घर में नकारात्मक प्रभाव है।
घर की निगेटिव एनर्जी को दूर करने के लिए सुंदरकांड का पाठ बहुत ही लाभदायक होता है। कई बार ऐसा होता है कि घर में मौजूद में बैठे नेगेटिव एनर्जी आपका कोई भी काम बनने नहीं देता है। ऐसे में यदि आपको कुछ अच्छा प्राप्त करना है तो शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें। नियमित रूप से ऐसा करने से जीवन में चमत्कार देखा जा सकता है।
धीरे-धीरे आपके घर में पॉजिटिव एनर्जी आने लगेगी और नेगेटिव एनर्जी दूर होने लगेगी। ऐसा होने से घर के सदस्यों में आपसी तालमेल बढ़ेगा और घर में हमेशा पॉजिटिव माहौल रहेगा। यदि आपकी सोच नेगेटिव हो गई है तो वह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। मन में सकारात्मक विचार आएंगे और जीवन में सब कुछ अच्छा होने लगेगा।
यहां एक बात और गौर करने वाली है कि यदि आपके मन में आस्था नहीं है तो फिर आपको इसका कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा। पूर्ण आस्था रखने के बाद ही सुंदरकांड का पाठ करना लाभदायक होता है। इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले उस पर विश्वास करना बहुत ही आवश्यक है। तभी इसका वास्तविक फल आपको प्राप्त होगा।
सुंदरकांड पाठ करने के नियम
सुंदरकांड का पाठ करने का कुछ नियम भी होता है। इन नियमों का पालन करके आप अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा सकारात्मकता ला सकते हैं। सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ विधि-विधान ओं का पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है। देखें – Maa Durga Image HD, Photos and Wallpaper: माँ दुर्गा इमेज और वॉलपेपर
सुंदरकांड का पाठ हमेशा स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके करना चाहिए। शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ सुबह या शाम के 4:00 बजे के बाद करना चाहिए। दोपहर में 12:00 बजे के बाद इसका पाठ नहीं करना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ करने से पहले चौकी पर हनुमान जी की फोटो या मूर्ति रखनी चाहिए। इसके साथ-साथ घी का दिया जलाना चाहिए। भूख देने के लिए फल, गुड़-चना, लड्डू या कोई भी मिष्ठान अर्पित कर सकते हैं।
इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि सुंदरकांड का पाठ जब हो रहा हो तो बीच में से नहीं उठना चाहिए। इस दौरान किसी से वार्तालाप भी नहीं करना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ करने से पहले हनुमान जी और भगवान रामचंद्र का आहवाहन करना चाहिए। सुंदरकांड समाप्त होने के बाद भगवान को भोग लगाकर आरती करना चाहिए। उसके बाद उनकी विदाई भी करना चाहिए।
महिलाओं को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए या नहीं
विद्वानों के मत के अनुसार, महिलाओं को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए लेकिन सिंदूर अर्पित नहीं करना चाहिए। पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में महिलाएं अपवित्र होती हैं। पढ़ें – सपने में कीचड़ में गिरना होता है बड़ा ही अशुभ, जानें जीवन में क्या होता है?
सुंदरकांड का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है। है इसके साथ-साथ रामचरितमानस का पाठ करना भी बहुत ही आवश्यक होता है। भगवान राम को हनुमान जी अति प्रिय थे। इसलिए सुंदरकांड का पाठ करने के साथ-साथ रामचरितमानस का पाठ करने से भी विशेष लाभ होता है। सुंदरकांड का पाठ करते वक्त मन और तन पूरी तरह से शुद्ध रखना चाहिए।
अस्वीकरण – यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी कार्य को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क अवश्य करें। हमारा कार्य सिर्फ जानकारी देना है।

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