राजनीति विज्ञान विभाग एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (शोध प्रकल्प ) के संयुक्त तत्वावधान मे गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ सरस्वती वन्दना द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम डा. नरेन्द्र आर्य एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया गया तत्पश्चात गौरव पंवार शोधार्थी राजनीति विज्ञान विभाग ,महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्रांत संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (शोध प्रकल्प) द्वारा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के वर्तमान में किए गए किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया एवं वर्तमान में जुड़े कार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में अपने विचार रखे। साथ ही शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना एवं उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
प्रो० प्रमोद कुमार, बी आर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य विश्वविद्यालय को भी पर्याप्त संसाधन मुहैया कराया जाना चाहिए । अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनंद प्रकाश ने कहा कि अंतर अनुशासनात्मक उपागम को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही उन्होंने स्थानीय ज्ञान को पहचान देने के साथ बढ़ावा देने की जरूरत पर भी बल दिया।
डॉ राजेश्वर कुमार ने अपने विशिष्ट वक्तव्य के दौरान गुणवत्तापूर्ण शोध जो समसामयिक एवं प्रासंगिक हो, इस विषय पर जोर दिया। डॉ कुमार ने शोधार्थियों को अपने विषय और रुचि क्षेत्र के चुनाव में स्वतंत्रता देने की बात कही। राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजीव कुमार ने विषय प्रवर्तन करते हुए इस बात पर हर्ष जाहिर किया कि शिक्षा नीति वैदिक मंथन का विषय बन रही है।
प्रोफेसर कुमार ने वैदिक शिक्षा, प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली एवं व्यवस्था के गौरवशाली परंपरा पर प्रकाश डालते हुए ब्रिटिश काल में भारतीय शिक्षा के ह्रास पर चर्चा की। विश्वविद्यालय के गांधी परिसर के निर्देशक प्रोफेसर प्रसुन दत्त सिंह ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सरिता तिवारी के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में डॉक्टर नरेंद्र सिंह सहायक आचार्य डॉक्टर पंकज सिंह, सहायक आचार्य डॉक्टर ओम प्रकाश गुप्ता, सहायक आचार्य डॉक्टर प्रेरणा भादुली, सहायक आचार्य डॉक्टर प्रशांत सिंह, सहायक आचार्य एवं शोध प्रकल्प के कार्यकर्ता ,शोधार्थी एवं छात्रों की गरिमामई उपस्थिति रही।
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