नई दिल्ली। नवगठित राम मंदिर ट्रस्ट को सरकार की तरफ से पहला दान मिला है। केंद्र सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट को मंदिर निर्माण के लिए नगद एक रूपए का दान दिया। सरकार की तरफ से यह दान गृह मंत्रालय में अपर सचिव डी मुर्मू ने दी। बता दें कि राम मंदिर ट्रस्ट बिना किसी शर्त के दान, अनुदान, चंदा, मदद या योगदान की रकम को अचल समपत्ति के तौर पर लेगा।
राम मंदिर ट्रस्ट में हिंदू पक्ष के वकील रहे 92 वर्षीय परासरन को ट्रस्टी बनाया गया है। परासरन के साथ-साथ ट्रस्ट में एक शंकराचार्य समेत पांच सदस्य धर्मगुरू इस ट्रस्ट में रहेंगे। 92 वर्षीय परासरन के अलावा अयोध्या के पूर्व शाही परिवार के राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्रा, अयोध्या के ही होम्योपैथी डॉक्टर अनिल मिश्रा और कलेक्टर को ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया है।
पीएम के ऐलान के कुछ ही देर बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई। बैठक में अयोध्या मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ग्राम धानीपुर, तहसील सोहावल रौनाही थाने के 200 मीटर के पीछे पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का प्रस्ताव पास हुआ। राज्य मंत्रिमंडल ने इसकी मंजूरी प्रदान कर दी है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को जो जमीन दी जा रही है, वह अयोध्या से करीब 22 किलोमीटर पहले है। यह जमीन लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर है। सुन्नी वक्फ बोर्ड को यह पांच एकड़ जमीन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिया जा रहा है। यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए दी गई है। हालांकि यह बोर्ड पर निर्भर करता है कि वह इस जमीन का क्या करेगी।
बिहार के दलित ने रखी थी पहली ईंट
30 साल पहले राजीव गांधी की अगुआई वाली तत्कालीन केंद्र सरकार की अनुमति के बाद 9 नवंबर 1989 को प्रस्तावित राम मंदिर की पहली नींव पड़ी थी। राम मंदिर शिलान्यास के लिए विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन संयुक्त सचिव कामेश्वर चौपाल ने पहली ईंट रखी थी। कामेश्वर चौपाल बिहार के रहने वाले थे। वे एक दलित समुदाय से आते थे।
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