अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की प्रस्तावित भारत यात्रा को लेकर एक बात तो साफ हो गई है कि भारत को इससे कोई अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। उनके भारत आने की चर्चा शुरू होने के साथ ही कयास लगाए जाने लगे थे कि इस मौके पर दोनों देशों के बीच कई बड़े समझौते हो सकते हैं। दो दिन पहले ट्रंप ने खुद ही साफ कर दिया है कि ऐसा कुछ फिलहाल नहीं होने जा रहा।
जरा अटपटे से एक बयान में डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि व्यापार के मामले में भारत ने अमेरिका के साथ बहुत अच्छा बर्ताव नहीं किया है लेकिन मैं प्रधानमंत्री मोदी को काफी पसंद करता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ हम व्यापार समझौता कर सकते हैं, मगर बड़े समझौते को मैं बाद के लिए बचा रहा हूं।
राजनयिक सूत्रों के मुताबिक डॉनल्ड ट्रंप की इस यात्रा के दौरान अमेरिका से 24 नौसेना हेलिकॉप्टर खरीदने के 2.6 अरब डॉलर के अनुबंध सहित कई सौदों का समझौता हो सकता है। जो भी हो, ट्रंप भारत यात्रा को लेकर उत्साहित हैं। खासकर अहमदाबाद में होने वाले विशेष आयोजन ‘नमस्ते ट्रंप’ को लेकर। एक तरह से यह अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में हुए ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम का भारतीय संस्करण होगा। वैसे ‘हाउडी मोदी’ में 50 हजार लोगों की भीड़ थी (अमेरिका के लिहाज से बहुत ज्यादा) जबकि अहमदाबाद में इससे कई गुना ज्यादा भीड़ हो सकती है।
ट्रंप के अहमदाबाद पहुंचने पर उनके स्वागत में एयरपोर्ट से लेकर स्टेडियम तक 50 से 70 लाख लोगों के मौजूद रहने की बात खुद ट्रंप ने ही कही है। दरअसल यह आयोजन नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दृष्टि से काफी अहम है क्योंकि इसके जरिये भारतीय मूल के 40 लाख अमेरिकियों को लुभाने के अलावा ट्रंप अमेरिकी वोटरों की मुख्यधारा को अपनी वैश्विक लोकप्रियता का संदेश भी देना चाहते हैं।
भारत का कूटनीतिक लाभ इसमें इतना ही है कि सीएए, एनआरसी और कश्मीर को लेकर दुनिया में जहां-तहां कही जा रही कड़वी बातें इस दलील से कट जाएंगी कि संसार के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र का मुखिया जब स्वयं इन नीतियों के साथ खड़ा है तो किसी और की परवाह क्यों करनी।
आर्थिक पहलू से देखें तो भारत 2009 के बाद सबसे कमजोर विकास दर का सामना कर रहा है। ट्रंप का दौरा उन विदेशी निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, जो भारतीय बाजार को लेकर संशय में हैं। बहरहाल, इस दौरे के स्वरूप को लेकर विपक्ष ने जो चिंताएं जाहिर की हैं, उनमें कुछ बिल्कुल वाजिब हैं।
मसलन यह कि किसी एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के लिए देश में रैली का आयोजन कहां तक उचित है। किसी एक राष्ट्राध्यक्ष को इतनी तवज्जो देना क्या अन्य देशों से हमारे सबंधों को प्रभावित नहीं करेगा। यह भी कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के प्रतिद्वंद्वियों के बीच यह आयोजन क्या भारत के प्रति कटुता का कारण नहीं बनेगा?



देश और दुनिया की ताजा खबरों के लिए बने रहें हमारे साथ। लेटेस्ट न्यूज के लिए हन्ट आई न्यूज के होमपेज पर जाएं। आप हमें फेसबुक, पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब कर सकते हैं।