ऐसे में कोरोना फैला तो भारत को कोई नहीं बचा सकता

कोरोना का खतरा

संतोष सुमन। भारत में कोरोना को देखते हुए 21 दिनों का लॉकडाउन है। मतलब आवागमन की सारी सुविधाएं बंद हैं। रेल, सड़क सबकुछ। लोगों से अपील की गई है कि जो जहां हैं वहीं रहें। लेकिन लोग हैं कि मान नहीं रहे हैं। इनमें सभी की अपनी-अपनी दुविधा और कष्ट हैं। लेकिन जिस तरह से दिल्ली और यूपी की सरकार ने इन लोगों को अपने घरों को भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की है, उससे कोरोना फैलने का खतरा 80 फीसदी अधिक हो गया है।

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दिल्ली और गाजियाबाद बॉर्डर पर हजारों दिहाड़ी मजदूर अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। यूपी पुलिस ने गाजियाबाद बॉर्डर पर मजदूरों को रोक कर रखा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोगों के लिए बसों का इन्तजाम किया है। लेकिन सवाल यह है कि भारत के जो इलाके अभी कोरोना से सुरक्षित हैं वहां भी इन लोगों को भेजकर कोरोना का खतरा बढ़ाने का काम किया जा रहा है।

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सरकार इन मजदूरों को उनके प्रवासी स्थानों पर खाने और रहने की सुविधा देने के बजाय बसों में भर उनके गांव भेज रहे हैं जो खतरे से खाली नहीं है। अगर एक को भी कोरोना हो गया है तो फिर भगवान ही मालिक है। पता नहीं क्यों? सरकारों को यह बात समझ में क्यों नहीं आ रही है कि इटली, स्पेन और अमेरिका में कैसे हालात हैं?

भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में यहां के राजनेता मजदूरों का सही तरीके से और सुरक्षित मदद करने के बजाय उन्हें बसों को भरकर उनके गांव भेजने का जो रिस्क ले रहे हैं वह आगे चलकर भयंकर रूप ले सकता है। यदि ऐसा हुआ तो भारत में कोरोना को रोकना नामुमकिन हो जाएगा। पहले ही देश के कई राज्यों में स्थिति लगातार विकराल होती जा रही है।

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राज्य सरकारों का बसों में भरकर मजदूरों को भेजने का कदम विनाशकारी सिद्ध हो सकती है। पहले ही भारत को लेकर आशंका जताई जा चुकी है कि यदि यहां पर कोरोना स्टेज 3 में पहुंचा को 40 करोड़ से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं और तब भारत में कोरोना का वास्तिवक रूप दिखने लगेगा। उम्मीद है कि राज्य सरकारों को यह छोटी सी बात समझ आ जाए कि कोरोना से खिलवाड़ के क्या परिणाम हो सकते हैं? कृप्या भावनाओं में न बहे, उचित निर्णय लें और देश में कोरोना फैलने से बचाएं, नहीं तो भगवान ही मालिक है।

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नोट- यह लेखक का निजी विचार है

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