नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरोना से विस्थापित प्रवासी मजदूरों के लिए नियमों में बदलाव किया है। यह बदलाव अस्थायी है। नए नियम के तहत प्रवासी मजदूरों के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के जरिए किया जाएगा। नए नियम के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
गृह मंत्रालय ने कोरोना से विस्थापित प्रवासी मजदूरों की मुश्किलों को देखते हुए शनिवार को नियमों में बदलाव को मंजूरी दी। नए बदलाव के बाद 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन और रहने की व्यवस्था के साथ-साथ चिकित्सा सेवा और कपड़े भी दिए जाएंगे। गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर व्यवस्था करने को कहा है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, एसडीआरएफ के नए नियमों के तहत भोजन, आवास (अस्थायी), कपड़े, चिकित्सा सेवा का प्रबंध किया जाएगा। प्रवासी मजदूर, बेघर लोग और राहत शिविरों और अन्य स्थानों में रह रहे लोगों पर यह नया नियम लागू होगा। लोगों में कोरोना वायरस और भूख से मौत का डर इस कदर समा गया है कि लोग पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं।
बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों से कोरोना से विस्थापित मजदूरों की चिंताजनक तस्वीरें सामने आई हैं। तस्वीरों और वीडियो में मजदूर भूख से रोते-बिलखते नजर आ रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों के बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपना कार्य स्थल को छोड़ अपने घरों को लौट रहे हैं। सभी पैदल ही 500, 1000 किलोमीटर की यात्रा पर चल पड़े हैं।
देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चौथे दिन दिल्ली-एनसीआर से मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया है। देश में संपूर्ण लॉकडाउन 21 दिनों का किया गया है। लॉकडाउन के दौरान सामान्य यातायात की सभी सेवाएं बंद हैं। ऐसे में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने-अपने घरों को निकल पड़े हैं।
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