लखनऊ। विधानसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने जातिवार जनगणना के विषय पर नियम-103 के तहत चर्चा कराने की मांग की। विपक्ष ने इसे आरक्षण के संदर्भ में पिछड़ा वर्ग की जनगणना का हवाला दिया। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने नियम-108 का हवाला दिया और कहा कि सरकार और विपक्ष आपस में तय कर लें तो अध्यक्ष को चर्चा कराने में कोई आपत्ति नहीं है।
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे केन्द्र का विषय करार देते हुए कहा कि यह निरर्थक बहस है। ऐसे में सपा, बसपा और कांगे्रस ने सरकार को पिछड़ा विरोधी बताते हुए सदन का बहिर्गमन कर दिया। प्रश्नकाल समाप्त होते ही नेता विरोधी दल रामगोविन्द चैधरी ने जातिवार जनगणना के विषय पर नियम-103 के तहत चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में एनआरसी लागू न करने का प्रस्ताव पास हुआ है। साथ ही कई राज्यों में चर्चा भी हुई है। उन्होंने कहा कि एनपीआर में पिछड़ी जातियों के काॅलम को छोड़ दिया गया है।
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चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि जातिवार जनगणना करायेंगे। कहा कि आखिर सरकार को जातिवार जनगणना कराने में कठिनाई क्यों है। बसपा नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा ने कहा कि यदि जातिवार जनगणना नहीं होगी तो आरक्षण का लाभ कैसे देंगे। उन्होंने कहा कि आज असरकारी दिवस भी है, इसलिए आज इस विषय पर चर्चा करा ली जाये।
कांग्रेस नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने भी नियम-103 के तहत जातिवार जनगणना कराने की मांग की। सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर ने भी अपना मत रखा। विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यह केन्द्रीय सूची का विषय है। विधानसभा राज्य के विषयों पर ही चर्चा करा सकती है। अध्यक्ष ने कहा कि नियम-108 का हवाला दिया और कहा कि सरकार और विपक्ष आपस में तय कर लें तो अध्यक्ष को चर्चा कराने में कोई आपत्ति नहीं है।
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सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार मन-वचन-कर्म से पिछड़ों का सम्मान करती है। उन्हें संवैधानिक दर्जा भी हमने ही दिया है। हम पिछड़ों का सम्मान करते थे, हैं और करेंगे। खन्ना ने सपा को उसकी सरकार की याद दिलाते हुए कहा कि हम जब इनकी सरकार में हाईकोर्ट बेंच की बात करते थे तो सपा सरकार इसे केन्द्र का विषय बताती थी।
उन्होंने कहा कि हम पूरे समाज को समानता से देखते हैं। हम वसुदैव कुटुम्बकम की बात करते हैं। लेकिन विपक्ष बांटने का काम करती है। खन्ना ने इसे केन्द्र का विषय करार देते हुए कहा कि यह निरर्थक बहस है। ऐसे में सपा, बसपा और कांग्रेस ने सरकार को पिछड़ा विरोधी बताते हुए सदन का बहिर्गमन कर दिया।

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