किसने कह दिया कि वो निर्लज्ज है
किसने कह दिया कि वो बेहया है
कौन कहता है कि वो असहाय है
कौन कहता है कि वो बेचारी है
औरत के दायरे बनाने वालों
जरा अपने गिरेबान में झाकों
क्या अपनी मां को भी संस्कार सिखाओगे
या बहन को सूली पर चढ़ाओगे
कुछ पल सुकून देकर उस ममता से पूछो
क्या बीतता होगा उसपर जब कोई बजाता है सीटी
क्या झेलती वो जब समाज उसपर आरोप लगाता है
और जब कोई भी उठा देता है उंगली उसकी आज़ादी पर
ऐ धरती के मानव, क्या कहोगे तुम इन सवालों पर
क्यों इस धरती पर हर बार एक लड़की ही गलत है
लड़की के कपड़े गलत है, उसका चाल-चलन गलत है
क्यों एक लड़की ही हर बार सही या गलत है
क्या करें समाज में पनप रही इस सोच का
निर्भया, दामिनी तो चली गईं
चला गया उन बेटियों का संसार
क्या कभी मिल पाया पूरा इंसाफ़
जब हर रोज इस समाज में कुचली जाती हैं मासूम
तो क्या करोगे देश में बढ़ाकर कन्या का अनुपात
जब न्याय देने में ही सालों लग गए
तब कैसे दोगे बेटा-बेटी को एक सा समाज
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