नई दिल्ली। ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से हटा दिया है। इस परियोजना के तहत चाबहार बंदरगाह से जहेदान के बीच 628 किमी लंबे रेल ट्रेक का निर्माण होना था। इसे भारत की सरकारी रेल कंपनी इरकान पूरा करने वाली थी। मौजूदा घटनाक्रम भारत और ईरान के बीच नाजुक रिश्तों की गवाही दे रहा है।
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना को पूरा करने का समय मार्च 2022 तक था। ईरान ने इस संबंध में कहा है कि समरझौते के 4 साल बीतने के बाद भी भारत की तरफ से इस परियोजना के लिए फंड नहीं दिया जा रहा है। बता दें कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से उपकरणों के सप्लायर नहीं मिल रहे हैं।
बता दें कि पहले ही भारत और चीन के विवाद सुलझाने का काम चल रहा है। ऐसे में ईरान की यह निर्णय भारत और ईरान के संबंध को खराब कर सकता है। भारत ने चाबहार बंदरगाह को बनाने में अरबों रूपए खर्च कर चुका है। ऐसे में ईरान का यह निर्णय किसी बढ़े झटके से कम नहीं है।
चीन करेगा 400 अरब डॉलर का निवेश
इस परियोजना के तहत भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। यह रेलवे लाइन अफगानिस्तान तक बनाने की योजना थी। उधर चीन ईरान के साथ 400 अरब डॉलर की डील करने जा रहा है। इसके बदले में चीन ईरान से सस्ते में तेल खरीदेगा और बदले में ईरान में चीन निवेश करेगा।
भारत के लिए चाबहार व्यापारिक परियोजना के लिहाज के साथ-साथ रणनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट यहां से मात्र 100 किमी. दूर है। ग्वादर पोर्ट के चीन विकसित कर रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और ईरान के बीच होने वाला यह समझौता 25 साल के लिए हो सकता है।
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