प्यार की ऐसी परिभाषा है तू
आशा भी तूझसे है तो निराशा भी तू
लोग चाहे उलट-पलटकर गढ़ते हैं परिभाषाएं
पर मेरे अनकही किस्सों की अभिलाषा है तू
तू के भीतर अगर संपूर्ण मैं समाया है
तो मेरे भीतर समाया है तू
फिर कौन कहता है कि तू-तू है
और मैं-मैं हूं, ये दोनों ही तो हम हैं
मुझसे अलग होते हुए भी तो
मेरे भाव ही नहीं लफ्जों में भी समाया है तू
कहीं कोसों दूर बसा है मुझसे तू
लेकिन फिर भी हर पल मेरे पास रहता है तू