भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के दावे को सिद्ध किया। मुख्यमंत्री बनने और भाजपा को वापस सत्ता में लाने के बाद मंगलवार को शिवराज सरकार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इस कैबिनेट में सिंधिया गुट के दो और भाजपा के तीन विधायकों को राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने मंत्री पद की शपथ दिलाई।
राज्यपाल लालजी टंडन ने सबसे पहले डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। वह 1990 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुने गए और पहले भी शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त हासिल किया है।
दूसरे नंबर पर कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके तुलसी सिलावट को राज्यपाल ने मंत्री पद की शपथ दिलाई। तुलसी सिलावट को ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है। वे कमलनाथ सरकार के 22 बागी विधायकों में शामिल थे। वे इंदौर की सांवेर विधानसभा सीट से विधायक थे।
तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश में भाजपा के नेता रहे कमल पटेल ने मध्यप्रदेश के मंत्री के तौर पर शपथ ली। वह पांच बार हरदा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए हैं। कमल पटेल के बारे में कहा जाता है कि वे छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं।
शिवराज सरकार में चौथे नंबर पर गोविंद सिंह राजपूत ने पद एवं गोपनियता की शपथ ली। गोविंद सिंह राजपूत कमलनाथ सरकार के 22 बागी विधायकों में शामिल थे। वे तीन बार सागर के सुरगी से विधायक रह चुके हैं। वे सागर जिले की सुर्खी सीट से विधायक थे। उनके इस्तीफा देने के बाद यह सीट वर्तमान में खाली है।
वहीं पांचवे नंबर पर मीना सिंह मांडवे हैं। जिन्होंने शिवराज सरकार की कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। उन्होंने 2008 में अपने पति की मौत के बाद अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और वे उमरिया जिले की मानपुर सीट से विधायक हैं।
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