शुक्रवार का दिन को विशेष रूप से देवी मां की पूजा के लिए अहम माना जाता है। इस दिन आप उनके हर स्वरूप की पूजा कर सकती हैं। इस दिन लोग मिठाई का दान करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, लगातार 16 शुक्रवार का व्रत रखना बेहद फायदेमंद होता है। इस दिन लोगों को सफेद रंग के वस्त्र पहनना चाहिए। शक्ति और दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बहुत अच्छा माना जाता है। शुक्रवार का व्रत अलग-अलग वजहों से रखा जाता है। कुछ लोग संतान प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखते हैं तो कुछ लोग खुशहाल जीवन के लिए और बाधाओं को दूर करने के लिए शुक्रवार का व्रत रखते हैं।
इस प्रकार करें मां दुर्गा की पूजा
शुक्रवार का दिन मां दुर्गा का दिन माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने और उनके मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। आप शुक्रवार के दिन का आरंभ ॐ श्री दुर्गाय नमः के जाप के साथ कर सकते हैं। मां दुर्गा का यह मंत्र मां लक्ष्मी, सरस्वती और काली तीनों शक्तियों की उपासना के लिए है। सबसे पहले दुर्गा जी की पूजा के लिए माता दुर्गा की मूर्ति और उनका आह्वान करें। अब माता दुर्गा को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और फिर जल से स्नान कराएं।
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स्नान के बाद माँ दुर्गा को आसन पर स्थापित करें। उसके बाद उन्हें आभूषण और पुष्प माला पहनाएँ। फिर इत्र अर्पित करें और उन्हें तिलक करें। तिलक के लिए कुमकुम, अष्टगंध का उपयोग करें। इसके बाद धूप अर्पित करें। ध्यान रखें कि मां दुर्गा की पूजा में दूर्वा अर्पित नहीं की जाती। मां को लाल गुड़हल के फूल अर्पित करें। पूजन के पूरा होने पर नारियल का भोग अवश्य लगाएं। 10-15 मिनट के बाद नारियल को फोड़ें और उसका प्रसाद देवी मां को अर्पित करने के बाद सब में बांट दें और स्वयं भी ग्रहण करें।
मां लक्ष्मी की ऐसे करें उपासना
शुक्रवार के दिन धन और संपन्नता की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए। मां लक्ष्मी की पूजा का उत्तम समय मध्यरात्रि होता है। मां की उसी प्रतिकृति की पूजा करनी चाहिए। जिसमें वह गुलाबी कमल के फूल पर बैठी हो। साथ ही उनके हाथों से धन बरस रहा हो। मां लक्ष्मी को विशेषकर गुलाबी कमल चढ़ाना अच्छा माना जाता है। कहते हैं मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप स्फटिक की माला से जाप करने से वह तुरंत प्रभावशाली होता है। शुक्रवार को लक्ष्मी जी की उपासना करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
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उत्तम फल पाना है तो करे संतोषी मां की पूजा
शुक्रवार के दिन देवी के इस स्वरूप की पूजा भी की जाती है। सुख-सौभाग्य की कामना से संतोषी मां के सोलह सोमवार तक व्रत किए जाने का विधान है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई इत्यादि पूर्ण कर लेनी चाहिए। स्नान के बाद घर में किसी पवित्र जगह पर माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उनके सम्मुख जल से भरा कलश रखे और उसके ऊपर एक कटोरा गुड़ चना भरकर रखें।
अब माता के समक्ष दिया जलाएं। फिर अक्षत फूल, इत्र, नारियल, लाल वस्त्र, चुनरी अर्पित करें। देवी को गुड़ चने का भोग लगाएं और कथा पढ़कर आरती करें। कथा समाप्त होने के बाद हाथ के गुड़ चने को गाय को खिला दे। कलश पर रखें गुड़ चने का प्रसाद सभी को बांटे। कलश के जल को घर में सब जगहों पर छिड़के और बचा हुआ जल तुलसी में डाल दें। ध्यान रहे कि इस व्रत को करने वाले को ना तो खट्टी चीजों को हाथ लगाना है और न ही खानी है।

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