पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के तहत किसानों को उन्मुक्त उत्पाद बेचने में बाधा बने जिस एपीएमसी (बाजार समिति) एक्ट को संशोधित करने की अन्य राज्यों में पहल हो रही है, उसे बिहार ने 15 साल पहले ही रद्द कर दिया था।
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एपीएमसी पर बोलते हुए कहा कि उस समय राजद-कांग्रेस ने इसका भारी विरोध किया था। इसके जरिए किसानों को बिचौलियों से मुक्त कर दिया गया था। अब बिहार के मॉडल को पूरा देश अपनाएगा। सुशील मोदी ने कहा कि बाजार समितियों से राज्य को सलाना 70 करोड़ रुपए की आमदनी होती थी। मगर भ्रष्टाचार और शोषण से किसान परेशान थे।
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किसानों को ई-प्लेटफॉर्म से जोड़ने की तैयारी
डिप्टी सीएम ने कहा कि एक्ट के तहत किसान लाइसेंसधारियों से ही अपने उत्पाद बेचने और मंडी शुल्क देने के लिए बाध्य थे, जिसे एनडीए सरकार बनने के तत्काल बाद 2006 में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए निरस्त कर दिया गया था।
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उन्होंने कहा कि किसानों को ई-प्लेटफॉर्म से जोड़ने की तैयारी हो रही है। आने वाले दिनों में सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के साथ ही बाजार समिति ग्रांगण में आधारभूत संरचना विकसित कर किसानों को ई-प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की सुविधा दी जाएगी। ई-डिस्पले पर वे अपने उत्पादों को देशभर के मूल्य को देखकर अपने उत्पाद को बेच सकेंगे।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों से आईटीसी जैसी कंपनियां सीधे उत्पाद खरीद रही हैं। बिहार में बाजार समिति एक्ट के निरस्तीकरण का ही परिणाम है कि कोविड-19 संकट के दौरान भी आईटीसी ने किसानों से सीधे 20 हजार टन गेहूं की खरीद की है।
बता दें कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने बाजार समिति एक्ट में बदलाव योजना तेज कर दी है। सरकार ने कहा कि इससे किसानों को लाभ होगा और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी।

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