- तारीख पर तारीख क्या इस बार सही सिद्ध होगी ये तारीख…
दिसंबर 2012 का वो कांड जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था न जानें कितने महिलाएं और लड़कियां निर्भया कांड के बाद सड़क पर उतर आई थी निर्भया को इंसाफ दिलवाने और देषियों को सजा दिलाने के लिए निर्भया की मां पिछले कई वर्षों से कानून का दरवाजा खटखटा रहीं हैं लेकिन फिर भी हमारे देश का कानून अपने मानवाधिकारों के बेड़ियों में बंधे होने के चलते इतने सालों के बाद भी उन दरिदों की हर गुहार सुनने में लगा हुआ है।
बता दें कि निर्भया के दोषी मुकेश ने दिल्ली कोर्ट में याचिका दी थी कि जिस दिन निर्भया के साथ हादसा हुआ यानी 16 दिंसबर 2012 को वह दिल्ली में मौजूद ही नहीं था इसके आलावा उसने अपने याचिका में कहा था कि उसे राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था जिसपर उसका कहना था कि वह दिल्ली के वसंत विहार में मौजूद नहीं था।
दोषी मुकेश के वकील एम एल शर्मा ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके कहा था कि मुकेश को पुलिस ने 17 दिसंबर को राजस्थान के करोली से गिरफ्तार किया था। ऐसे में वो 16 दिसंबर को हुई घटना के वक्त दिल्ली में था ही नहीं। पुलिस ने तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है लिहाजा मुकेश के खिलाफ फांसी की सज़ा को रद्द किया जाए। मुकेश की इस याचिका पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा ने फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी।
बता दें कि तीन बार फांसी की तारिख टलने के बाद 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की सड़कों पर निर्भया के साथ हैवानियत करने वाले चार दरिंदों को 20 मार्च को फांसी दी जानी है। इससे पहले दोषी फांसी को टालने या उससे बचने के लिए हर मुमकिन रास्ता इस्तेमाल कर रहे हैं।अब ऐसे में देखना ये है कि क्या इस बार निर्भया को इंसाफ मिल पाएगा या फिर से एक बार उन दरिंदों को अगली तारीख पर तारीख दी जाएगी।
✍ ‘पुष्पांजलि’



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