डेस्क। महात्मा गौतम बुद्ध की कर्मभूमि कही जाने वाली बिहार की कहानी अकल्पनीय है। भारत के आजादी की लड़ाई में भी भारत छोड़ो आंदोलन में इस राज्य की विशेष भूमिका रही है। बिहार की संस्कृति भारत सहित विश्वभर में विख्यात है। बिहार के ही चंपारण से गांधी धी जी ने अपना पहला आंदोलन शुरू किया था। यही नहीं आजादी के बाद भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद भी इसी बिहार से हैं।
आजादी के बाद इसी बिहार से कई राजनितिक नेता केंद्र सरकार में मंत्री हैं। इतना ही नहीं बिहार में जन्में हर युवा के अंदर कुछ कर गुजरने का जुनून है। आंकड़े बताते हैं कि देश के ‘स्टील फ्रेम’ का चयन करने वाले सिविल सर्विस की परीक्षा में बिहार का स्थान सफलतम राज्यों में से एक है। इन्हीं आंकड़ो के अनुसार देश के कुल आईएएस अफसरों में हर 12वां बिहारी है।
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बिहार 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होकर एक अलग राज्य बना। बिहार की धरती प्राचीनकाल में मगध के नाम से विख्यात थी। वर्तमान में बिहार की राजधानी पटना (पाटलीपुत्र) कभी मगध राज्य की राजधानी हुआ करती थी।
इस तरह हुआ मगध-विहार से बिहार नाम
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ऐसा आमतौर पर देखा जाता है कि हर शहर का नाम किसी न किसी कारण से पड़ा। इसी तरह बिहार का नाम बिहार होने के पीछे माना जाता है कि हमेशा से बिहार बौद्ध भिक्षुओं का मुख्य स्थान रहा है। प्राचीन समय में बिहार में बौद्ध धर्म के लोग न केवल यहां घूमने आते थे, बल्कि बड़ी संख्या में वे यहीं पर रहते थे। इसलिए बौद्ध विहारों के विहार शब्द से इस राज्य का नाम बिहार पड़ा। धीरे-धीरे इसका नाम विहार से बिहार हो गया। बिहार में बौद्ध धर्म का विकास हुआ। बिहार की धरती में ही बौद्ध धर्म का जन्म और विकास हुआ।
कब-कब बंटा बिहार?
बिहार न केवल बंगाल से 1912 में विभाजित हुआ बल्कि कई दूसरे राज्यों से भी विभाजित हुआ। 1935 में बिहार उड़ीसा से अलग हुआ। आजादी के बाद बिहार एक बार फिर विभाजित हुआ। आज का झारखंड राज्य कभी बिहार का ही अंग था। सन् 2000 में बिहार से झारखंड अलग होकर एक अलग राज्य बना।
इन कई वजहों से बिहार का है विशेष महत्व
बिहार के पटना जिले में गंगा नदी जो सम्पूर्ण बिहार वासियों की आस्था का केंद्र माना जाता है। पटना गंगा और गंगा की सहायक नदियों की उपजाऊ जमीन पर बसा है। बिहार की संस्कृति और मेधा विश्व में विख्यात है। बिहार का व्यक्ति अपनी कुशाग्र बुद्धि और महत्वकांक्षा से सबको प्रभावित करता है।
बिहार का बड़ा पर्व जिसे छठ के नाम से भी जाना जाता है। छठ आज धीरे-धीरे बिहार से निकलकर देश के कई हिस्सों में मनाया जाने लगा है। बिहार की संस्कृति में मगध, अंग, मिथिला तथा वज्जी संस्कृतियों का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। आज भी भारत की सबसे पुरानी और बड़ी नालंदा यूनवर्सिटी जैसे प्राचीन शिक्षण संस्थान दुनिया के बड़े शिक्षण संस्थानों में शामिल हैं। यह राज्य अपनी खानपान की विविधता के लिए भी मशहूर है।

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