बिहार में वोटर वेरिफिकेशन पर बवाल क्यों? 65 लाख नाम लिस्ट से बाहर, ADR ने सुप्रीम कोर्ट में उठाए सवाल

बिहार वोटर वेरिफिकेशन

Highlights:

  • बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन से 65 लाख मतदाता लिस्ट से बाहर।
  • ADR ने इसे मतदाताओं के अधिकारों पर हमला बताया।

Highlights:

  • बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन से 65 लाख मतदाता लिस्ट से बाहर।
  • ADR ने इसे मतदाताओं के अधिकारों पर हमला बताया।

बिहार में चल रही Special Intensive Revision (SIR) वोटर लिस्ट एक्सरसाइज पर सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी दल इसे गरीबों के वोट काटने की साजिश बता रहे हैं। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है, जहां 28 जुलाई को सुनवाई होगी।

इससे पहले गैर सरकारी संगठन Association for Democratic Reforms (ADR) ने चुनाव आयोग के हलफनामे के खिलाफ अपना जवाब दाखिल किया है। ADR का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले ये प्रक्रिया मतदाताओं के साथ बड़ा धोखा है।

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ADR ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल

ADR का कहना है कि चुनाव आयोग का दावा कि उसे वोटर लिस्ट रिवीजन में नागरिकता वेरिफाई करने का अधिकार है, सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के खिलाफ है। संगठन ने लाल बाबू हुसैन बनाम भारत संघ (1995) और इंद्रजीत बरुआ बनाम ECI (1985) का हवाला दिया। खासकर 1985 के फैसले में कहा गया था कि वोटर लिस्ट में नाम होना ही नागरिकता का सबूत है और इसे गलत साबित करने का जिम्मा आपत्ति करने वाले का है।

2003 के बाद जुड़े मतदाताओं पर बढ़ा दबाव

चुनाव आयोग ने कहा था कि 2003 के बाद वोटर लिस्ट में शामिल हुए लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए 11 डॉक्यूमेंट्स में से कोई एक देना होगा। ADR का कहना है कि इससे लाखों मतदाताओं पर उम्र और नागरिकता साबित करने का अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है।

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आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी पर विवाद

चुनाव आयोग का साफ कहना है कि आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी को नागरिकता के प्रमाण के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। आयोग का तर्क है कि ये दस्तावेज फर्जी तरीके से भी बन सकते हैं। ADR का कहना है कि आयोग के बताए 11 डॉक्यूमेंट्स भी फर्जी बनाए जा सकते हैं, फिर इन्हें मान्यता देने का तर्क क्या है?

बीएलओ पर मनमानी और EROs को मिली ताकत

ADR ने दावा किया है कि ग्राउंड रिपोर्ट्स में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। डॉक्यूमेंट्स की जांच का कोई स्पष्ट सिस्टम नहीं है, जिससे Electoral Registration Officers (EROs) को बेहिसाब ताकत मिल गई है।

65 लाख मतदाताओं के नाम हटे, आगे क्या होगा?

SIR के पहले चरण में करीब 8% यानी 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर रह गए। अब सवाल यह है कि क्या ये लोग वोट डाल पाएंगे? चुनाव आयोग ने कहा है कि 7.23 करोड़ लोगों के फॉर्म ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल होंगे, जिसका प्रकाशन 1 अगस्त को होगा और फाइनल लिस्ट 30 सितंबर को जारी की जाएगी। 1 अगस्त से 1 सितंबर तक ड्राफ्ट लिस्ट में नाम छूटने वाले लोग दावा और आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।


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Himanshu Suman

हिंमाशु सुमन एक उभरते हुए लेकिन गहरे सोच वाले लेखक हैं, जिनका लेखन सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं बल्कि सोच को दिशा देने वाला होता है। वे समाज, टेक्नोलॉजी, युवा मुद्दों और करंट अफेयर्स पर विश्लेषणात्मक लेख लिखते हैं।

बिहार में वोटर वेरिफिकेशन पर बवाल क्यों? 65 लाख नाम लिस्ट से बाहर, ADR ने सुप्रीम कोर्ट में उठाए सवाल

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हिंमाशु सुमन एक उभरते हुए लेकिन गहरे सोच वाले लेखक हैं, जिनका लेखन सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं बल्कि सोच को दिशा देने वाला होता है। वे समाज, टेक्नोलॉजी, युवा मुद्दों और करंट अफेयर्स पर विश्लेषणात्मक लेख लिखते हैं।

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