हिंदू धर्म में बर्षों से मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार मनाने का चलन रहा है। मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालु अपनी भक्ति भाव से भगवान भास्कर यानी सूर्य की उपासना करते हैं। इस दिन उत्तर-पूर्वी भारत में खासतौर से दही और चूरा खाने का रिवाज है। इस दिन तिल का बना हुआ पकवान का भोग लगाया जाता है और खाया भी जाता है। मकर संक्रांति के दिन पतंग भी उड़ाया जाता है।
भारत के अधिकांश हिस्सों में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन पतंगबाजी की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं को पतंग उड़ाने के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं। आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी क्यों की जाती है और इसके क्या कारण हैं?
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूर्य उत्तरायण का होने लगता है। इस कारण इस समय सूर्य की किरणें व्यक्ति के लिए औषधि का काम करती हैं। धूप में खड़े होकर पतंग उड़ाने से शरीर में कफ की मात्रा कम होती है। त्वजा का रुखापन भी दूर हो जाता है।
सूर्य की किरणों में विटामिन-डी पाया जाता है। पतंग उड़ाते समय व्यक्ति के शरीर पर सूर्य की किरणें सीधे संपर्क में आती हैं। इससे शरीर से जुड़ी कई समस्याओं से निजात मिलती है। विटामिन-डी मिलने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है और यह शरीर के लिए जीवनदायिनी शक्ति की तरह काम करता है।
जब सूर्य उत्तरायण हो जाता है तो उनकी गर्मी में शीत के प्रकोप व शीत के कारण होने वाले रोगों को समाप्त करने की क्षमता होती है। ऐसे में धूप में पतंग उड़ाने से सूर्य की करणें एक औषधि की तरह काम करती हैं।
Makar Sankranti के दिन पतंग उड़ाने से हाथ और गर्दन की मांसपेशियों में लचीलापन आता है। इस समय दिमाग हमेशा सक्रिय रहता है ताकि कोई उनका पतंग काट न दे। पतंग उड़ाते समय मन-मस्तिष्क प्रसन्न रहता है क्योंकि इससे गुड हार्मोंस का बहाव बढ़ता है। पतंग उड़ाते समय आंखों की भी एक्सरसाइज होती है।



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