Highlights:
- काला रंग नकारात्मक ऊर्जा, शोक और तमोगुण का प्रतीक है।
- नीला रंग भी ऊर्जा को सोखता है। पूजा में यह भी वर्जित है।
- शनिदेव की पूजा में सिर्फ काले रंग का इस्तेमाल होता है।
Highlights:
- काला रंग नकारात्मक ऊर्जा, शोक और तमोगुण का प्रतीक है।
- नीला रंग भी ऊर्जा को सोखता है। पूजा में यह भी वर्जित है।
- शनिदेव की पूजा में सिर्फ काले रंग का इस्तेमाल होता है।
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के समय वस्त्रों के रंगों का विशेष महत्व बताया गया है। पूजा में काले और नीले रंग के कपड़े पहनने की मनाही है। इसके पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण मौजूद हैं।
काले रंग से क्यों बचना चाहिए?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काला रंग मृत्यु, शोक, नकारात्मकता और तमोगुण (जड़ता, अज्ञान) का प्रतीक माना गया है। इसे राहु और अशुभ ग्रहों से भी संबंधित माना जाता है। इससे पूजी में काले रंग के उपयोग पर प्रतिबंध है।
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पूजा का मुख्य उद्देश्य मन को सत्वगुणी, शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखना है। काले रंग के वस्त्र मन में भारीपन, उदासी और निराशा पैदा कर सकते हैं। पूजा के समय मन को हल्का, शांत और ईश्वर-केंद्रित रखना जरूरी होता है।
काला रंग प्रकाश को अवशोषित करता है और सकारात्मक ऊर्जा को भी कम कर देता है। पूजा में ऊर्जा और प्रकाश की आवश्यकता होती है, इसलिए गहरे रंगों से बचा जाता है। काले रंग का प्रयोग केवल शनिदेव की पूजा में ही शुभ माना जाता है। अन्य सभी देवी-देवताओं की पूजा में इसे वर्जित किया गया है।
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नीले रंग से क्यों बचना चाहिए?
नीला रंग भी ऊर्जा को तेजी से सोखता है, जिससे पूजा के समय माहौल में जरूरी सकारात्मक ऊर्जा की हानि हो सकती है। जिस तरह काले पर्दे कमरे में रोशनी को कम कर देते हैं, उसी तरह नीला और काला रंग मनुष्य की आसपास की ऊर्जा को कम कर देते हैं।
हिंदू धर्म ग्रंथों और ज्योतिष में नीले रंग को भी अशुभ माना गया है, खासकर पूजा-पाठ के समय। किसी भी देवी-देवता की पूजा में नीले रंग के वस्त्र पहनना वर्जित है, शनिदेव को छोड़कर।
पूजा में क्या पहनना चाहिए?
- पीला, सफेद, केसरिया, हरा: ये रंग शुभ, मंगलकारी और सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। पीला रंग तो गुरु बृहस्पति और मां सरस्वती का प्रतीक भी है, इसलिए पूजा में इन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए।
- संदेश: पूजा में वस्त्रों का रंग हम पर, हमारे मन और आसपास के वातावरण पर प्रभाव डालता है। इसलिए शुभ रंगों का चयन कर मन को पवित्र एवं शांत रखा जा सकता है।

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