डेस्क। कोरोना वायरस के कहर से आज देश और दुनिया के लोग प्रभावित हैं। वहीं इस वायरस से यूरोप में सबसे ज्यादा इटली प्रभावित हुआ है। हजारों लोगों की मौत के बाद इस शहर के लोगों में निराशा भी स्वाभाविक है। लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से इटली की कुछ इस तरह की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जो सबका ध्यान अपनी और खींच रही है।
तस्वीर के वायरल होने की पीछे कहा जा रहा है कि इटली के लोग इतने परेशान हो चुके हैं कि उन्होंने हताशा में अपने पैसे गलियों, सड़कों पर फेंकने शुरू कर दिए हैं। पैसों का इस तरह से फेकने के पीछे कहा जा रहा है कि जब सगे-संबंधी नहीं बचे और इस तरह की पांबदियों में ही जीना है तो पैसों को रखने का क्या लाभ?
वायरल तस्वीर के पीछे अब सवाल उठता है कि क्या इनमें रत्ती भर भी सच्चाई है? क्या सच में लोग इतना परेशान हो गए हैं कि इस पैसों को लुटा दिया? अगर लुटाया भी तो कोई लुटने वाला नहीं? तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे का सच क्या है?
खबरों के मुताबिक, जब इस बात की सत्यता की जांच की गयी तो पता चला कि सोशल मीडिया के जरिए सड़कों पर पैसे फेकने की जो तस्वीरें वायरल हो रही है, वो तो सही है, लेकिन उनका इटली से कोई वास्ता नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस तरह की तस्वीरें मार्च, 2019 से ही इंटरनेट पर वायरल हो रही है और उस दौरान दुनिया ने कोरोना वायरस नाम का शब्द भी नहीं सुना था। तो लोगों ने ऐसा किया क्यों? अब ये तो साफ हो गया कि वो तस्वीर इटली की नहीं हैं।
अब सवाल यह है कि पैसे फेकने के पीछे की सच्चाई क्या है? दरअसल अगस्त 2018 में बदहाली से जूझ रहे लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला ने अपनी करेंसी को बदलने का फैसला किया। वेनेजुएला ने नयी करेंसी Bolívar Soberano चलाने का फैसला किया जोकि पहले Fuerte Soberano थी।
जब पुरानी करेंसी की कोई वैल्यू नहीं रह गई तो वेनेजुएला के लोगों ने उन नोटों को सड़कों पर फेंकना शुरू कर दिया। दरअसल पिछले एक साल से सड़कों पर पैसे फेकने की तस्वीरें जो इंटरनेट और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। वो पुरानी है और इटली से उन पैसों का कोई वास्ता नहीं है।



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