नई दिल्ली। देश में कोरोना संकट के बीच भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने देशभर में यात्री ट्रेनों का परिचालन बंद रखा है। लेकिन इसके बावजूद रेलवे 15 अप्रैल से ई-टिकट की बिक्री कर रहा है। ई-टिकटों की ब्रिकी में सुविधा शुल्क (Convenience Fee) लिया जाता है जोकि अलग-अलग क्लास के लिए अलग-अलग है।
ई-टिकटों की बुकिंग पर भारतीय रेलवे (Indian Railway) द्वारा सुविधा शुल्क के रूप में नॉन एसी क्लास के लिए 15 रुपये और एसी और फर्स्ट क्लास के लिए 30 रुपये बसूलता है। अब रेलवे का कहना है कि वह ई-टिकटों की बुकिंग के वक्त जो सुविधा शुल्क (Convenience Fee) लेता है वह यात्रियों को ट्रेन कैंसिल होने पर भी वापस नहीं किया जाएगा।
इसके लिए रेलवे तर्क दिया है कि ई-टिकटों की सुविधा देने के लिए रेलवे को हर रोज 32 लाख रुपए खर्च करता है। सालाना यह रकम 125 करोड़ होती है। रेलवे (Indian Railway) का कहना है कि बिना टिकट बुक किए भी वेबसाइट का रखरखाव, सर्वरों का मेंटेनेंस, मैनपॉवर, साइबर सुरक्षा के लिए उपाय और वेबसाइट अपडेशन पर खर्च होता है। यह रकम एक निश्चित रकम होती है।
बता दें कि भारतीय रेलवे (Indian Railway) इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन यानी IRCTC के जरिए ई-टिकटों की बिक्री करता है। पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थी कि रेलवे ई-टिकटों पर बिना ट्रेन चलाए ही टिकट बुकिंग कर रोजाना लाखों रुपए की कमाई कर रहा है। इसी के मद्देनजर रेलवे ने अब अपनी बात कही है। रेलवे के अनुसार, वह यात्रियों के ई-टिकट बुकिंग के वक्त जो सुविधा शुल्क (Convenience Fee) लेती है, वह वापस नहीं करेगी।
भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने कहा कि वह पिछले साल ही सुविधा शुल्क में 25 फीसदी की कमी की थी। पहले रेलवे नॉन एसी के लिए 20 रुपए और एसी एवं फर्स्ट क्लास के लिए 40 रुपए लेती थी। बता दें कि भारतीय रेलवे की IRCTC वेबसाइट 15 अप्रैल से टिकटों की बुकिंग कर रही है जबकि अभी तक यात्री ट्रेन चलाने को लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है।
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