नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। चीन की सरकारी मीडिया ने फिर भारत को धमकी दिया है। चीन का कहना है कि डोकलाम चीन और भूटान के बीच का विवाद है। इसमें भारत को दखल देने का क्या हक है? नई दिल्ली के तर्क के मुताबिक अगर उसे ये हक है तो ये बहुत खतरनाक होगा क्योंकि अगर कश्मीर मसले पर पाकिस्तान ने अपील की तो चीन की आर्मी वहां विवादित एरिया में घुस सकती है, जिसमें भारत के अधिकार वाला कश्मीर भी शामिल है।”
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भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर पिछले 42 दिनों से गतिरोध जारी है। बता दें कि डोकलाम विवाद पर हल निकालने की कोशिशें जारी है। अभी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बीजिंग में हैं। चीन में डोभाल ने अपने समकक्ष चीन के एनएसए यांग जिआची से मुलाकात की। डोभाल चीन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे। भारत को ये धमकी चीन के सरकारी मीडिया दे दी है।
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सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने झांग यी के आर्टिकल के हवाले से लिखा है कि “भूटान की ओर से भारत से कोई मदद नहीं मांगी गई थी, लेकिन भारत फिर भी इस मुद्दे में अपना अड़ंगा लगा रहा है।” अखबार का कहना है कि “भूटान सरकार की तरफ से जारी 29 जून के बयान में भारत सरकार से मदद मांगने का कोई जिक्र नहीं था। डिप्लोमैटिक सूत्रों के मुताबिक भूटान सरकार को तो भारत की घुसपैठ के बारे में भी नहीं मालूम था।”
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इस भारत ने बिना शर्त डोकलाम से पीछे हटने से मना कर दिया है। भारत ने डोकलाम से अपनी सेनाएं बिना शर्त वापस बुलाने की चीन की मांग ठुकरा दी है। चीन के सरकारी न्यूज पेपर पीपुल्स डेली के एक रिपोर्टर के सवाल पर इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने ये जवाब दिया है। बागले ने कहा, “हमने डोकलाम मसले पर अपना नजरिया और रास्ता खोजने के तरीके को चीन के सामने साफ कर दिया है।” गोपाल के मुताबिक सीमा विवाद हल के लिए दोनों देशों के बीच एक सिस्टम बना हुआ है। हमें उसी के अनुसार मौजूदा विवाद खत्म करने को आगे बढ़ना होगा।
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बता दें कि डोकलाम भारत-चीन-भूटान के बीच एक ट्राइजंक्शन है। चीन के सड़क बनाने की कोशिशों को बीच इस विवाद का जन्म हुआ। यहां पर तीनों देशों की सीमाएं मिलती है। चीन यहां पर सड़क बनाना चाहता है। भारत और भूटान चीन के इस चाल का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि चीन की पहुंच यहां तक होने से भारत का चिकन नेक (सिलिगुड़ी गलियारा) चीन के सामरिक पहुंच में आ जाएगा। यदि ऐसा होता है यह भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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