भारत की एक प्रमुख टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) एक बार फिर आर्थिक संकट में घिर गई है। कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) को भेजे एक पत्र में यह स्पष्ट किया है कि अगर उसे AGR (Adjusted Gross Revenue) बकाया को लेकर सरकार से राहत नहीं मिली तो वह वित्त वर्ष 2025-26 के बाद कारोबार जारी नहीं रख पाएगी।
कंपनी पर करीब ₹30,000 करोड़ का AGR बकाया है। इस बकाया राशि में बड़ी राशि जुर्माना, ब्याज और ब्याज के ऊपर ब्याज की है। इसी को लेकर Vi ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और मांग की है कि इन अतिरिक्त चार्जेस को माफ किया जाए। इस याचिका पर 19 मई को सुनवाई होनी है जो कंपनी के भविष्य के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
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दिवालिया घोषित हो सकती है कंपनी
वोडाफोन आइडिया ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर सरकार की ओर से समय रहते सहयोग नहीं मिला तो उसे नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया अपनानी पड़ सकती है। इससे न सिर्फ टेलीकॉम सेक्टर की प्रतिस्पर्धा घटेगी बल्कि 20 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों को अन्य नेटवर्क्स की तरफ जाना पड़ सकता है।
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30,000 कर्मचारियों की नौकरी दांव पर
इतना ही नहीं कंपनी में काम कर रहे लगभग 30,000 कर्मचारियों की नौकरी भी दांव पर लग जाएगी। गौरतलब है कि सरकार पहले ही कंपनी में 49% हिस्सेदारी ले चुकी है। इसे कंपनी इक्विटी के रूप में AGR स्पेक्ट्रम बकाया के बदले में प्राप्त कर चुकी है। ऐसे में यदि कंपनी बंद होती है तो सरकारी हिस्सेदारी भी बेकार हो जाएगी।
कंपनी ने सरकार से अपील की है कि उसे ब्याज, जुर्माना और उस पर लगने वाले ब्याज की माफी दी जाए और कुछ राहत प्रदान की जाए ताकि वह भविष्य में मार्च 2026 में देय ₹18,000 करोड़ की किस्त का भुगतान कर सके और अपना संचालन बनाए रख सके।
बता दें कि अभी भारतीय टेलीकॉम बाजार में मुख्य रूप से चान कंपनियाँ ही राज करती हैं। एयरटेल, जियो, बीएसएनएल और वोडाफोन आइडिया। इनमें से वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल के ग्राहक कम हैं। मुख्य प्रतिस्पर्धा एयरटेल और जियो के बीच है।
यदि वोडाफोन कंपनी बंद होती है तो यह भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है और ग्राहकों को जेब से ज्यादा पैसा निकालना पड़ सकता है। बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म होने से बची हुई कंपनियाँ मनमाने तरीके से रेट तय कर सकते हैं।

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