कार्तिकेय की पूजा कैसे करें? हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष को षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस व्रत को स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी के बाद विशेष रुप से कार्तिकेय की पूजा की जाती है। कार्तिकेय का पूजन करने से कभी भी जीवन में दुख नहीं आता है।
बता दें कि भगवान कार्तिकेय महादेव शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और उन्हें भगवान गणेश का छोटा भाई माना जाता है। लेकिन उत्तर भारत में स्कंद को भगवान गणेश के बड़े भाई के रूप में पूजा जाता है। स्कंद के अन्य नामों में मुरूगन, कार्तिकेय और सुब्रमण्य है।
जिस दिन भगवान कार्तिकेय का पूजन किया जाता है, उस दिन को कंडा षष्ठी, या स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व साल भर में 12 बार आता है। प्रत्येक माह की षष्ठी तिथि को यह मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय का पूजन किया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को पूजने से घर में सुख-समृद्धि आती है और घर में आर्थिक संकट दूर होता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ होता है उन्हें भी इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अत्यंत लाभ होता है।
कार्तिकेय की पूजा विधि
भगवान कार्तिकेय का पूजन करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। पूजा में चंपा के फूल को अवश्य शामिल करना चाहिए। इस दिन संपूर्ण शिव परिवार का भी पूजन करने का विधान है। इसमें भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय का पूजन किया जाता है।
सृष्टि के दिन संपूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय को मिष्ठान और पुष्प अर्पित करना चाहिए। स्कंद षष्ठी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए।
अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इस विषय में विशेष जानकारी प्राप्त करने के लिए हमेशा विशेषज्ञ से ही संपर्क करें।
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