12 लाख इनामी रियाज नायकू ढेर, परिवार को नहीं सौंपा जाएगा शव

रियाज नायकू

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ दिनों जारी हमले में भारत ने अपने शहीदों की शहादत का बदला लेना शुरू कर दिया है। आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू सुरक्षाबलों के निशाने पर था। बुधवार को सुरक्षाबलों ने उसका भी सफाया कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, नए प्रोटोकॉल के चलते आतंकी रियाज नायकू के शव को परिवार को नहीं सौपा जाएगा हालांकि, खबरें हैं कि रियाज नायकू के शव को परिवार के सदस्य की मौजूदगी में ही दफनाया जाएगा।

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सेना के अधिकारियों ने बताया कि 32 साल के नायकू पर 12 लाख रुपये का इनाम था और तीन बार वह पुलिस के हाथों से बच निकला था।  एक अधिकारी ने बताया कि इस बार पूरी सावधानी बरती गई और यह भी ध्यान रखा गया कि अन्य किसी तरह का नुकसान न होने पाए।

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कैसे पकड़ा गया रियाज नायकू?

हिजबुल मुजाहिदीन के ऑपरेशनल कमांडर रियाज नायकू को पुलवामा के बेगपुरा गांव में घेर लिया गया था। इसके बाद सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में वह मारा गया। उससे मिले हुए उसके साथियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों के हाथों से निकल पाने में अंसभव रहा और मारा गया।

बता दें कि तीन मई को हंदवाड़ा में दो सैन्य अधिकारी कर्नल आशुतोष शर्मा और मेजर अनुज सूद सहित आठ सुरक्षा कर्मी आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। ये हमला और शहीदों की यह शहादत हाल ही के वर्षों में सेना को हुआ यह सबसे बड़ा नुकसान है। इससे न केवल सैन्य अधिकारी बल्कि भारत के आम नागरिकों में भी आक्रोश पैदा हो गया था। लेकिन भारतीय जवानों ने इसका बदला जल्द ही ले लिया।

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कोरोना के चलते नायकू के शव को दफनाएगी प्रशासन

जानकारी के मुताबिक, जिले में कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद एक मिलिटेंट का शव जब उसके परिवार को सौंपा गया था, तब कोरोना के बीच भी काफी संख्या में लोग उसमें शामिल हुए थे। उसके बाद से ही प्रशासन ने तय किया कि जितने भी आतंकी एनकाउंटर में मारे जाएंगे, उनके शव परिवारों को न देते हुए अज्ञात जगहों पर दफना दिया जाएगा। हालांकि दफनाने की प्रकिया मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में होगी और मारे गए आतंकियों के परिवार वालों को दफनाने की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।

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बता दें कि प्रशासन का यह नियम कोविड-19 के मद्देनजर बनाया गया है और यह सिर्फ आतंकियों पर लागू नहीं होता है। हंदवाड़ा में दो दिन पहले आंतकियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमला कर दिया था। इस हमले के बाद ही सुरक्षाबलों का एनकाउंटर शुरू हो गया। सुरक्षाबलों की तरफ से किए गए एनकाउंटर में इलाके के एक युवक की जान चली गई थी। प्रशासन ने युवक के शव को भी उसके परिजनों को नहीं दिया था।

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