बीजेपी का इतिहास: 40 वर्षों के संघर्ष ने पहुंचाया सत्ता के शिखर पर

बीजेपी का इतिहास

बीजेपी का इतिहास- 5 अप्रैल को देश की राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी की स्थापना दिवस है। वैसे तो भारतीय जनता पार्टी 6 अप्रैल1980 में बनी लेकिन इससे पहले ही 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय जनसंघ का निर्माण किया। बीजेपी ने अपने 40 सालों के लंबे सफर में कई बड़े नेता देश के दिए। देश में एक पार्टी की सत्ता को चुनौती देते हुए आज बीजेपी सत्ता के शिखर पर विराजमान है।

बीजेपी का 40 साल के इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी से होते हुए नरेंद्र मोदी नेताओं को जन्म दिया। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, अरूण जेटली, सुषमा स्वराज जैसे नेताओं ने बीजेपी की साख को और ऊपर किया। बीजेपी के वर्तमान नेता नरेंद्र मोदी की गूंज सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक ऐसा नाम जो जहां भी जाते हैं लोग उनके मुरीद हो जाते हैं।

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भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता तो इससे पहले भी हासिल की लेकिन आज की बीजेपी इतिहास रच रही है। अपने संघर्ष के दौर से निकल कर देश की सबसे बड़ी भारतीय जनता पार्टी आज सत्ता के शिखर पर है। तो आइए जानते हैं भारतीय जनता पार्टी का अब तक का सफर और कैसे इस मुकाम तक पहुँची?

देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी का इतिहास

भारतीय जनता पार्टी भारत की सबसे बड़ी पार्टी है। बीजेपी का इतिहास जानने के लिए उस विचारधारा पर बनी पार्टियों का भी इतिहास जानना होगा जिसकी नींव बीजेपी से पहले ही रखी जा चुकी थी। तब न तो मोदी और शाह की जोड़ी थी और न ही योगी जैसा कोई मुख्यमंत्री। 1952 के लोकसभा चुनाव का वो दौर जब 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय जनसंघ का निर्माण किया था, हालांकि 1952 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ को सिर्फ 3 सीटें मिलीं।

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1952 के लोकसभा चुनाव में महज तीन सीटें मिलने पर भी भारतीय जनसंघ ने संतोष किया और जनसंघ ने अपना संघर्ष और तेज कर दिया। जब देश में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया तो जनसंघ ने कांग्रेस के विरोध में आवाज तेज की। जैसे ही देश में आपातकाल खत्म हुआ, जनसंघ का रूप बदला और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया। पार्टी के गठन के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जीत हासिल की।

जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जीत के बाद मोरारजी देसाई को देश का प्रधानमंत्री बनाया। हालांकि महज तीन साल में ही देसाई को प्रधानमंत्री के पद से हटना पड़ा और फिर जनसंघ के लोगों ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। सन् 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी बनी तो उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के सबसे पहले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए। इसके बाद 1984 का चुनाव हुआ और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को दो सीट ही हासिल हुई।

बीजेपी का इतिहास- 2 सीटों वाली बीजेपी 303 पर पहुंची

हालांकि धीरे-धीरे 2 सीटों का सिलसिला बढ़ा और 1989 में 85 सीट हासिल हुई। इसके बाद सन् 1991 का वो दौर जब राम मंदिर की लहर ने पार्टी को 120 सीटें दिलाई और भारत में हिन्दु धर्म का प्रचार प्रसार की गति और तेज हुई और इसके बाद साल दर साल पार्टी की सीटें लगातार बढ़ती रही।

भारतीय जनता पार्टी को सन् 1996 में 161 सीट, 1998 में 182 सीटें मिली। अटल बिहारी वाजपेयी के बाद साल 2014 में लोकसभा के चुनाव हुआ और कांग्रेस को मात देकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार में ही इतिहास रच दिया। धीरे-धीरे बीजेपी ने केंद्र की सत्ता में अपनी गहरी छाप बनाई और प्रचण्ड बहुमत के साथ सरकार बनाई।

लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी को 282 सीटें लोकसभा में मिली। इसके बाद दिन-रात मेहनत कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने अगले पांच साल का सफर तय किया। लोकसभा चुनाव 2019 में देश की जनता ने नरेंद्र मोदी को सिर आँखों पर बैठाया और केंद्र की सत्ता को बीजेपी को सौंप दिया। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को रिकॉर्ड 303 सीटें मिली। लोकसभा चुनाव में 303 सीट जीतकर बीजेपी की एनडीए ने केंद्र में कमल खिला दिया।

कमल का निशान और पीएम मोदी की पहचान और उनकी लोकप्रियता न केवल देश तक सीमित है बल्कि पूरी दुनिया में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के चुनाव जीतते ही जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘एक देश-एक निशान-एक विधान-एक प्रधान’ का सपना पूरा कर जम्मू कश्मीर से 370 की धारा को खत्म किया। भगवान राम की जन्म भूमि का विवाद खत्म कर पार्टी ने एक बार फिर भारत में संघर्ष के दौर का खत्म किया। केंद्रीय सत्ता में बीजेपी का वर्चस्व लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी कमोबेश है।


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