नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली सरकार के इस फैसले के अनुसार बताया जा रहा है कि दिल्ली के अस्पतालों में अब सिर्फ दिल्लीवालों को ही इलाज करवाने का मौका मिल सकेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के इस फैसले को लेकर भारतीय राजनीति में एक नया उबाल आ गया है। उत्तर प्रदेश के तमाम मरीज दिल्ली में इलाज कराने जाते हैं। इस फैसले के बाद यूपी पर खासा असर पड़ेगा। वहीं दिल्ली सरकार के फैसले को लेकर यूपी के कई नेताओं ने इसका विरोध किया है।
दिल्ली सरकार के इस फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह फैसला गैर-संवैधानिक है। नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन है। नागरिकता देश की होती है, प्रदेशों की नहीं होती है। अरविंद केजरीवाल का जो फैसला है, किसी भी मायने में विधिसंवत नहीं है। भारत की जो संस्कृति है, यह फैसला उसके विपरित है।
राजधानी दिल्ली में न केवल देश बल्कि हमारे देश में तो पाकिस्तान से भी इलाज के लिए लोग आते हैं जबकि उनकी वजह से हमारे यहां कितने सैनिकों को अपनी जान गवांनी पड़ी। यहां के डॉक्टर पाकिस्तानी लोगों का भी उसी तरह इलाज करते हैं जैसे हिंदुस्तानी लोगों का। तो ऐसे में कैसे दिल्ली के अस्पतालों में अरविंद केजरीवाल केवल दिल्ली के लोगों के लिए सुविधा उपलब्ध करवा सकते हैं।
केजरीवाल सरकार भारत के किसी नागरिक को दिल्ली में इलाज करवाने से कैसे रोक सकते हैं। दिल्ली इस देश का दिल है वो कोई उनकी जमींदारी नहीं है। पूरे देश के नागरिकों ने दिल्ली को चमकाया है। दिल्ली को बनाया है। मैं अरविंद केजरीवाल से कहूंगा कि वह अपना फैसला वापस लें और देश की जनता से माफी मांगे।
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने भी केरीवाल सरकार के फैसले को नकारते हुए कहा कि हमारा संविधान इस तरह के फैसले की इजाजत नहीं देता है। क्या दिल्ली में यही विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोई भी कहीं से भी आकर इलाज करा सकता है। उनका यह फैसला साबित करता है कि उन्होंने दिल्ली में कोई काम नहीं किया है केवल झूठ बोला है।
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