नई दिल्ली। एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत अपराध में सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशा निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों में अब कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी। इतना ही नहीं गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और गिरफ्तारी से पहले जमानत भी दी जा सकती है।
डीएसपी अपने स्तर के करेंगे जांच
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि लोग इस एक्ट का दुरुपयोग कर रहे हैं। अब इस मामले में केस दर्ज करने से पहले DSP स्तर पर पुलिस अधिकारी इसकी प्रारंभिक जांच करेंगे। इस मामले में अग्रिम जमानत पर भी कोई संपूर्ण रोक नहीं है। किसी सरकारी अफसर की गिरफ्तारी से पहले उसके उच्चाधिकारी से अनुमति जरूरी होगी।
बता दें, जब मामला पिछले साल 20 नवंबर को सुनवाई के लिए उठाया गया था, तो सुप्रीम कोर्ट ने तथ्यों को नोट करने के बाद, निम्नलिखित प्रश्न तैयार किया था: “इस मामले पर विचार करने के दौरान जो सवाल उठाया गया है, वह यह है कि क्या किसी भी एकतरफा आरोपों पर अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है, जो इस मामले से आधिकारिक क्षमता में निपटा करते हैं और अगर इस तरह के आरोपों को झूठा बना दिया जाता है तो ऐसे दुरुपयोगों के खिलाफ सुरक्षा क्या उपलब्ध है?।”
कोर्ट ने बाद में कहा कि अगर आरोप पर कार्रवाई की जाती है, तो कार्यवाही व्यक्ति की गिरफ्तारी या अभियोजन के परिणामस्वरूप हो सकती है और झूठी शिकायत पर भी स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर नतीजे कर सकती हैं।
यह भी पढ़ें-
ग्लैमर की दुनिया की ये महिला कलाकार जिन्होंने खुदकुशी कर ली
आने वाली है सबसे तेज टेक्नोलॉजी, प्लेन से भी पहले पहुंचाएगी गन्तव्य स्थान पर
क्या आपको पता है कि इन चार समय पर नहीं मापना चाहिए वजन
मोबाइल पर भी अपनी पसंदीदा खबरें पाने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें और ट्विटर, गूगल प्लस पर फॉलो करें
देश और दुनिया की ताजा खबरों के लिए बने रहें हमारे साथ। लेटेस्ट न्यूज के लिए हन्ट आई न्यूज के होमपेज पर जाएं। आप हमें फेसबुक, पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब कर सकते हैं।