Highlights:
- हाईकोर्ट ने पतंजलि को डाबर के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन से रोका
- अदालत ने डाबर को अंतरिम राहत दी, अगली सुनवाई 14 जुलाई को
- डाबर की च्यवनप्राश मार्केट में 61.6% हिस्सेदारी
Highlights:
- हाईकोर्ट ने पतंजलि को डाबर के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन से रोका
- अदालत ने डाबर को अंतरिम राहत दी, अगली सुनवाई 14 जुलाई को
- डाबर की च्यवनप्राश मार्केट में 61.6% हिस्सेदारी
दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कंपनी को डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash) के खिलाफ कोई भी भ्रामक या नकारात्मक विज्ञापन (Misleading Advertisement) चलाने से मना कर दिया है। यह आदेश डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें पतंजलि पर डाबर के उत्पाद को गलत ढंग से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया था।
मंगलवार को न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की अध्यक्षता में दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने डाबर को इस मामले में अंतरिम राहत दी। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक पतंजलि ऐसे किसी भी विज्ञापन से परहेज करे जो डाबर की छवि को नुकसान पहुंचाता हो। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।
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क्या है मामला?
डाबर का आरोप है कि पतंजलि ने टीवी पर ऐसे विज्ञापन प्रसारित किए जिनमें डाबर च्यवनप्राश को सामान्य बताया गया और पतंजलि के उत्पाद को बेहतर दिखाने की कोशिश की गई। डाबर का यह भी कहना है कि पतंजलि ने अपने च्यवनप्राश में 51 जड़ी-बूटियों (Herbs) का दावा किया, जबकि उसमें असल में 47 ही पाई गईं।
डाबर ने एक और गंभीर आरोप लगाया कि पतंजलि के उत्पाद में पारा (Mercury) पाया गया है जो खासतौर पर बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। कंपनी का कहना है कि इस तरह के दावे उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हैं और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।
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डाबर की दलील
डाबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कोर्ट में दलील दी कि पतंजलि ने भ्रामक तरीके से खुद को एकमात्र असली आयुर्वेदिक ब्रांड साबित करने की कोशिश की है, जबकि डाबर जैसे पुराने और भरोसेमंद ब्रांड को आम और घटिया उत्पाद की तरह पेश किया गया। सेठी ने बताया कि अदालत की रोक के बावजूद सिर्फ एक हफ्ते में पतंजलि के 6,182 विज्ञापन प्रसारित किए गए।
पतंजलि का जवाब
पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया। उन्होंने कहा कि पतंजलि का उत्पाद पूरी तरह आयुर्वेदिक मानकों के अनुसार है और स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
डाबर ने यह भी कहा कि भारत के च्यवनप्राश मार्केट में उसकी 61.6% हिस्सेदारी है। ऐसे में पतंजलि का यह कदम प्रतिस्पर्धा के नियमों के खिलाफ है और ब्रांड की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है।

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