नई दिल्ली। वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस (Covid-19) के खिलाफ जंग में वैक्सीन की कमी का सामना कर रही दुनिया को एक और तगड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि एंटी वायरल ड्रग रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गया है। इस एंटी वायरल ड्रग का नाम रेमडेसिवयर है, जिसका टेस्ट चीन अपने देश के कोरोना वायरस (Covid-19) से संक्रमित मरीजों पर कर रहा था।
पूरी दुनिया को थी उम्मीद
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एंटीटोड रेमडेसिवयर को लेकर पूरी दुनिया को उम्मीद थी। चीनी ट्रायल में पता चला कि यह ड्रग नाकाम रही। रेमडेसिवयर ड्रग से मरीज में कोई सुधार देखने को नहीं मिला। मतलब रेमडेसिवयर ड्रग देने से मरीज के खून में रोगाणु कम नहीं हुए। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने पहले इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। हालांकि बाद में रिपोर्ट को हटा लिया गया।
वेबसाइट से रिपोर्ट के हटाने पर सफाई देते हुए डब्लूएचओ ने कहा कि ड्राफ्ट रिपोर्ट गलती से अपलोड हो गई थी, इसलिए रिपोर्ट को हटा लिया गया। रिपोर्ट में बताया गया था कि कुल 237 मरीजों में से कुछ को रेमडेसिवयर ड्रग दी गयी और कुछ को प्लेसीबो। एक महीने बाद रेमडेसिवयर लेने वाले 13.9 % मरीजों की मौत हो गयी जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8 प्रतिशत मरीजों की मौत हुई।
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कंपनी ने दर्ज कराई आपत्ति
रेमडेसिवयर को बनाने वाली कंपनी गिलिएड साइंस ने इस परीक्षण के बाद अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। कंपनी के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कोविड – 19 के मरीजों पर इस दवा का काफी अच्छा असर हो रहा है और इसके परिणाम अच्छे हैं। लेकिन इस दवा के प्रभाव को जांचने के लिए अधिक ट्रायल करने की जरूरत है।
गिलिएड साइंस ने ट्वीट कर दवा के संबंध में रिपोट् जारी किया और कहा कि दवा का परीक्षण अभी काफी कम हुआ है। ऐसे में इसके रिजल्ट पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। कंपनी के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने कहा कि शोधकर्ताओं को इस दवा के परिणाम के बारे में कुछ भी लिखने या छापने की इजाजत नहीं है। अभी डब्लूएचओ के पास जो रिपोर्ट पहुंची वो गलत है और जल्दबाजी का परिणाम है।
ब्रिटेन में भी नई दवा का ट्रायल शुरू
ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का भी Covid-19 मरीजों पर सबसे बड़ा ट्रायल गुरुवार से शुरू हो चुका है। ब्रिटेन में बेहद अप्रत्याशित तेजी के साथ शुरू होने जा रहे इस परीक्षण पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैक्सीन के सफल होने की उम्मीद 80 फीसदी है। ब्रिटेन में 165 अस्पतालों में करीब 5 हजार मरीजों का एक महीने तक और इसी तरह से यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण होगा।

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