भारत का विचार परंपरा एवं ज्ञान परंपरा ही भारत बोध कराता है: प्रो. संजीव कुमार शर्मा

भारत का विचार

हरिओम कुमार, मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार द्वारा मीडिया अध्ययन विभाग के संयोजकत्व में ‘भारत का विचार: परम्परा और आधुनिक की सनातनता’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन हुआ। राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने सभी विद्वान अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत के विचार परम्परा पर मूर्धन्य विद्वानों द्वारा विश्वविद्यालय के आभासी मंच के माध्यम से चर्चा की जा रही है।

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प्रो. शर्मा ने कहा कि भारत का विचार परंपरा, ज्ञान परंपरा ही भारत बोध कराता है। भारत की पहचान इससे है कि हम सभी के कल्याण का सोचते हैं। सभी को साथ लेकर चलने का भाव रखते हैं। हम नदी को माता कहते हैं, वृक्ष की पूजा करते हैं, कण-कण में भाव प्रेम रखने की परंपरा ही भारत की परंपरा का बोध कराता है।

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प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंद कुमार

मुख्य वक्ता के तौर पर प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंद कुमार ने भारत का विचार परंपरा के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारत एक बोध है, एक विचार प्रवाह है। भारतीय संस्कृति में ज्ञान को महत्वपूर्ण स्थान है। भारत का नाम भी ज्ञान से ही मिला है। ज्ञान का आनंद लेने वाले समाज का नाम है भारत।

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ज्ञान के बारे में उन्होंने कहा कि ज्ञान अखंड है, प्रासंगिक है। राष्ट्र कल्पना से आधारित हमारी प्रतिज्ञा है। पूरे विश्व के लिए हमारे पूर्वजों ने सोचा। सिर्फ मानव जाति ही नहीं बल्कि संपूर्ण प्रकृति के बारे में भी चिंता किया, यही राष्ट्रबोध है , यह वाद नहीं हो सकता। भारतीय विचार में दर्शन ज्ञान और विद्या है।

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भारतीय विचार परंपरा में लौकिक ज्ञान है, आध्यात्मिक मुक्ति देने के लिए ज्ञान है। हमारे वैदिक पंडित भी वैज्ञानिक थे। काल गणना के लिए बिग बैंग थ्योरी है, लेकिन हिन्दू परंपरा में काल गणना कि जो प्रथा है वह सबसे अच्छा है। भारत के विचार में ज्ञान की परंपरा भी रही है। प्राचीन समय में अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय थे। भारत के विचार में सबसे ज्यादा बहुमूल्य वस्तुएं ज्ञान के क्षेत्र में है और भारत इसका खजाना है।

बतौर मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र , नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारत का विचार परंपरा नित नूतन चिर पुरातन का है। हम परंपरा को विचार, संस्कृति, संस्कार की दृष्टि से देखते हैं। भारत का विचार परम्परा में हमेशा नया करना एवं सबको साथ लेकर चलने का काम करती है।

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भारत का विचार हजारों साल पुरानी है। विष्णु पुराण में भी भारत का जिक्र है।भारत के विचारों को बांटना, विभेद करना मूल अवधारणाओं के साथ अन्याय है। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए बहुत शास्त्र संपदा का काम किया।

भारत भूमि में धर्म ही नहीं धर्म का मर्म भी समझा गया है। आज सत्य के सनातनता की खोज की जरूरत है। भारत के विचार परंपरा को विश्व तक फैलाने की जरूरत है। भारत ने हमेशा से विश्व को प्रगति व उन्नति का मार्ग दिखाया है।

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कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय ने कहा कि राष्ट्रवाद एक राजनीतिक शब्द है। हम लोग राष्ट्रवादी नहीं बल्कि राष्ट्रीय हैं, राष्ट्रप्रेमी हैं। सनातनता एक चलती हुई विरासत है। आगे उन्होंने कहा कि अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण 500 साल की भारत बोध को दर्शाता है। यह हमारे पूर्वजों के संघर्ष का प्रतीक है। हमारी सभ्यता में “हम” की सोच में विश्वास रखते हैं, जबकि दूसरे सभ्यता में “मैं” और “तुम” का सोच है।

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष एवं इस वेब संगोष्ठी के संयोजक डॉ. प्रशांत कुमार ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में ‘भारत का विचार: परम्परा और आधुनिक की सनातनता’ विषय के विविध आयामों पर कार्यक्रम में सम्मिलित मूर्धन्य विद्वानों द्वारा विस्तार से चर्चा की गई जो सभी प्रतिभागियों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुआ।

उन्होंने कहा कि वेब संगोष्ठी में भारत के 28 राज्यों से दो हजार से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी गूगल मीट के माध्यम से आयोजित की गई साथ ही फेसबुक पर भी लाइव किया गया। इस वेब संगोष्ठी में सहभागिता करने वाले सभी प्रतिभागियों को फीडबैक लिंक प्रदान किया गया, जिसे भरने के बाद निःशुल्क ई- प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।

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वेब संगोष्ठी का संचालन मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक अध्यापक एवं आयोजन सह-सचिव डॉ परमात्मा कुमार मिश्र ने किया। अतिथियों एवं प्रतिभागियों का परिचय मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक अध्यापक एवं कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ साकेत रमण ने दिया एवं धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ विमलेश कुमार ने प्रकट किया।

वेब संगोष्ठी के संरक्षक मण्डल में डीएसडब्ल्यू प्रो. आनन्द प्रकाश, समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. राजीव कुमार, शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. आशीष श्रीवास्तव एवं प्रबंध एवं वाणिज्य संकाय के अधिष्ठाता प्रो. पवनेश कुमार थें। राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह कार्यक्रम समन्वयक थें।

कार्यक्रम के सह-संयोजक मीडिया अध्ययन विभाग के सह आचार्य डॉ अंजनी कुमार झा और आयोजन सह – सचिव हिंदी विभाग के सह आचार्य डॉ अंजनी श्रीवास्तव थें। साथ ही आयोजन समिति के सदस्य के रूप में प्रो. त्रिलोचन शर्मा, डॉ. एम. विजय कुमार, डॉ. असलम खान, डॉ. शिवेंद्र सिंह, डॉ. श्यामनंदन, डॉ. सुनील दीपक घोडके, डॉ. उमा यादव, डॉ. अम्बिकेश त्रिपाठी और डॉ. अनुपम कुमार वर्मा की भी सक्रिय भूमिका थी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिकारी गण, पीआरओ शेफालिका मिश्रा एवं सिस्टम एनालिस्ट दीपक दिनकर सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी भी भारी संख्या में जुड़ें थे।

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