बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर 400, 500 शब्दों का लेख (Paragraph on Beti Bachao Beti Padhao Yojana in 400, 500 Words)
Paragraph on Beti Bachao Beti Padhao (400 Words)
दुनिया के सभी देशों में महिलाओं की शैक्षणिक सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति तथा लिंगानुपात में बहुत ज्यादा भिन्नता देखने को मिलती है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान बेटियों को बचाने और पढ़ने के अलावा सदियों से चली आ रही धार्मिक प्रथाओं और समाज में चली आ रहे नकारात्मक विचारधारा में परिवर्तन लाने की भी कोशिश है।
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जब महिलाएं शिक्षित होंगीं और अपने कार्यों द्वारा समाज के अलग-अलग क्षेत्र में योगदान देंगीं, तो निश्चित ही समझ में महिलाओं के प्रति नजरिए में बदलाव आएगा। शिक्षित होने पर महिला अपने ऊपर होने वाले उत्पीड़न का विरोध कर सकती हैं और अपने अधिकारों की मांग कर सकती हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत में निरंतर घट रही महिलाओं की संख्या पर रोक लगाना है। देश के कई राज्यों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले बहुत कम है। हरियाणा में लड़के और लड़कियों का लिंगानुपात अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं की जनसंख्या के अनुपात को बढ़ाना है और लिंग अनुपात को संतुलित करना है।
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भारतीय संविधान द्वारा भी महिलाओं को शिक्षा का अधिकार, समानता का अधिकार, समान सेवा का अधिकार, सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया गया है। इसके बावजूद भी समाज में महिलाओं का उत्पीड़न अलग-अलग तरीकों से होता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा के पानीपत से किया गया। यह वही राज्य है जहां पर महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है।
यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है। योजना लागू होने के बाद भारत में इसका पालन ईमानदारी से किया जा रहा है और अब इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के माध्यम से लड़कियों को पढ़ने का मौका मिल रहा है और समाज में लड़कियों के प्रति एक सकारात्मक सोच का संचार हो रहा है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को सफल बनाने के लिए भारत में पूर्व गर्भाधान और प्रसाद पूर्व निरंतर तकनीक अधिनियम 1994 को लागू किया गया है।
इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई व्यक्ति या कोई डॉक्टर प्रसवपूर्व लिंग जांच का दोषी पाया जाता है या भ्रूण हत्या का दोषी पाया जाता है तो उसे कानून के मुताबिक दंड दिया जाएगा और डॉक्टर का लाइसेंस रद्द किया जाएगा। भारत सरकार और राज्य की सरकारों के अथक प्रयास से लड़कियों के जन्मदर में वृद्धि हुई है और जन्म लेने वाली बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा सुनिश्चित हो पा रही है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम लागू होने के बाद कई निजी संस्था और चैरिटेबल ट्रस्ट तथा व्यक्तिगत रूप से लोग भी एक दूसरे को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार द्वारा देश के अलग-अलग स्कूलों, कॉलेज, सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालय, रक्षा एवं सेवा क्षेत्र में महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
Paragraph on बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (500 Words)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा देश में लड़कियों की संख्या में गिरावट को रोकना है। योजना लागू होने के बाद इसका सकारात्मक परिणाम भी समाज में देखने को मिला है।
आजादी के बाद देश में लगातार गिर रही महिलाओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा इस योजना को लागू किया गया है। बेटे की चाह में परिवारों द्वारा कन्या भ्रूण हत्या होने की वजह से देश के अलग-अलग राज्यों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या कम होने लगी। इससे देश में लिंग अनुपात असंतुलित होने लगा।
इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा पहले 100 जिलों में इस योजना को लागू किया गया। उसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में इस योजना को लागू कर दिया गया। इस योजना के माध्यम से लड़कियों के भ्रूण हत्या में कमी देखने को मिली है और महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
1991, 2001 और 2011 की जनगणना में यह बात सामने आई की महिलाओं की जनसंख्या पुरुषों के अनुपात में निरंतर गिर रही है। महिलाओं की घटती जनसंख्या का मुख्य कारण समाज और घर परिवार में महिलाओं के प्रति नकारात्मक सोच और साक्षरता का अभाव देखा गया। इसके अलावा दहेज प्रथा भी महिलाओं की घटती संख्या का एक जिम्मेदार पहलू है।
आज भी कई जगहों पर लोगों की यह मानसिकता है की बेटी तो पराया धन है और इसे पढ़ने से क्या फायदा। जब भी किसी परिवार में बेटी का जन्म होता है तो इस वक्त से परिवार इस चिंता में डूब जाते हैं कि बेटे की शादी कैसे होगी और इसमें कितना खर्च करना पड़ेगा। इस कारण लोग बेटियों को पैदा होने से पहले ही मार देते थे।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में लिंग अनुपात को कम करना है और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना है। इसके अलावा लड़कियों की शिक्षा को बढ़ाना देना तथा उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। योजना का उद्देश्य निम्नलिखित है।
- कन्या भ्रूण हत्या को रोकना
- बालिकाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना
- बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना
- महिलाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना
- महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम को बढ़ावा देना
- लैंगिक समानता को लेकर जागरूकता फैलाना
- महिला के खिलाफ हिंसा को रोकना
- बेटियों के आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना लागू होने के बाद कन्या भ्रूण हत्या में कमी देखी गई और महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई। बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में भी बेटियों की पढ़ाई को लेकर जागरूकता आई और कई क्षेत्रों में बिहार सरकार द्वारा भी महिलाओं को प्राथमिकता दी गई।
इससे समाज में महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ और सरकार के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम को बल मिला। हालांकि महिलाओं के खिलाफ हिंसा अभी भी कई जगहों पर देखने को मिल रही है लेकिन इसमें धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत महिलाएं पढ़ रही हैं और समाज के अलग-अलग क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। इससे समाज में एक सकारात्मक वातावरण का संचार हुआ है और समाज में महिलाओं की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ उनके प्रति देखने के नजरिए में भी बदलाव हुआ है।

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